उच्च न्यायालय ने आप विधायक के खिलाफ प्राथमिकी निरस्त की
नई दिल्ली, (विसं)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आप विधायक एवं उनके दो अन्य सहयोगियों के खिलाफ दर्ज नई दिल्ली नगर पालिका परिषद ःएनडीएमसीः के दो अधिकारियों के बारे में कथित रूप से जातिसूचक शब्द कहने से संबंधित प्राथमिकी निरस्त कर दी है।
न्यायमूर्ति आई एस मेहता ने दिल्ली कैंटोनमेंट से विधायक सुरेंद्र सिंह की याचिका को मंजूर करते हुए कहा कि विधायक के खिलाफ दायर मामले को पक्षों के बीच ``सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझा लिया गया''। अदालत ने कहा, ``प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार यह स्वीकार्य तथ्य है कि घटना से पहले या यहां तक कि घटना के वक्त सभी पक्ष एक दूसरे से परिचित नहीं थे। इसलिए यह मामला एससी एसटी अधिनियम के तहत लागू नहीं होता।'' विधायक, ड्राइवर पंकज और सहयोगी प्रवीण के खिलाफ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ःअत्याचार रोकथामः अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसे निरस्त कराने के लिये उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया था। पांच अगस्त 2015 को एनडीएमसी कर्मचारियों के बारे में कथित रूप से जातिसूचक शब्द के इस्तेमाल को लेकर तीनों के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज की गयी थी।
तीनों के खिलाफ भादंसं की संबंधित धाराओं के अलावा किसी लोक सेवक के सार्वजनिक कामकाज निर्वहन में बाधा पहुंचाने, जानबूझकर उन्हें नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस के अनुसार घटना उस वक्त हुई थी जब एनडीएमसी के कर्मचारियों ने तुगलक रोड के पास नियमित जांच के दौरान वहां सिग्नल के पास एक सब्जी बेचने वाले से पूछताछ की।
उन्होंने कहा, ``अचानक विधायक ने मामले में दखल दिया और निकाय अधिकारियों के साथ बहस करने लगे। मामले ने तूल पकड़ा और विधायक के ड्राइवर ने एनडीएमसी के एक कर्मचारी को पीट दिया।''
पुलिस के एक अधिकारी ने अदालत से कहा, ``हालांकि विधायक ने कर्मचारी से मारपीट नहीं की, लेकिन उन्होंने उनके बारे में जातिसूचक शब्द कहे और गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी।''