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जेल से ही चलाएंगे सरकार केजरीवाल

👤 Veer Arjun | Updated on:28 March 2024 5:41 AM GMT

जेल से ही चलाएंगे सरकार केजरीवाल

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—अनिल नरेन्द्र

अभी सियासी हलको में यह चर्चा हो रही थी कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद दिल्ली की सरकार का क्या होगा? क्या वह इस्तीफा देंगे और कोईं दूसरे विधायक को दिल्ली सौपेंगे? या फिर वह तिहाड़ जेल से ही सरकार चलाएंगे। सीएम आवास के बाहर एकत्रित आप नेताओं और कार्यंकर्ताओं का साफ कहना था कि केजरीवाल इस्तीफा नहीं देंगे और गिरफ्तारी के बाद भी वे जेल से ही सरकार चलाएंगे। उनका यह कहना ही था कि केजरीवाल जी का पहला आदेश तिहाड़ से आ गया। प्रावर्तन निदेशालय (ईंडी) की हिरासत में रहकर सरकार चलाने के दौरान अपना पहला निर्देश देते हुए जल मंत्री आतिशी को शहर के वुछ इलाकों में पानी एवं सीवर से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए कहा। मंत्री आतिशी ने उनके आदेश को मीडिया के सामने पढ़ा।

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने अपने आदेश में कहा कि मुझे पता चला है कि दिल्ली के वुछ इलाकों में पानी और सीवर की काफी समस्याएं हो रही हैं। इसे लेकर मैं चितित हूं। चूंकि मैं जेल में हूं इस वजह से लोगों को जरा भी तकलीफ नहीं होनी चाहिए। गर्मियां आ रही हैं, जहां पानी की कमी है। वहां उचित संख्या में टैंकरों का इंतजाम कीजिए। मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों को उचित आदेश दीजिए ताकि जनता को किसी तरह की परेशानी न हो। जनता की समस्याओं का तुरन्त और समुचित समाधान होना चाहिए। जरूरत पड़ने पर उपराज्यपाल महोदय का भी सहयोग लें। वे भी आपकी जरूर मदद करेंगे। कानून क्या कहता है? जानकार कहते हैं कि गिरफ्तारी पर इस्तीफा देने की कोईं बाध्यता नहीं है, क्योंकि गिरफ्तारी होने को दोष सिद्धी नहीं माना जा सकता। ऐसे में किसी सीएम की गिरफ्तारी होने से तुरन्त उनका पद नहीं जा सकता, दूसरी ओर विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि देखना होगा कि जेल से सरकार चलाना कितना प्रोक्टिकल होगा, लोकतंत्र की परंपराओं के कितने अनुरूप होगा। इसके लिए जेल नियमों से लेकर तमाम तरह के पहलुओं पर काफी वुछ निर्भर करेगा।

लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान विशेषज्ञ पीडीटी आचार्यं का कहना है कि वीडियो कांप्रोंसिग के जरिए भी वैबिनेट मीटिग होती है, लेकिन जहां तक जेल से वैबिनेट मीटिग या मंत्रियों के साथ मीटिग का सवाल है तो इसके लिए जेल प्राशासन की मंजूरी जरूरी होगी। अगले जेल प्राशासन से मंजूरी नहीं मिलती तो वैबिनेट की बैठक संभव नहीं हो सकती है। अगर केजरीवाल इस्तीफा नहीं देते हैं तो जेल अथॉरिटी पर काफी वुछ निर्भर करता है। अगर मुख्यमंत्री जेल से सरकार चलाना चाहेंगे और जेल अथॉरिटी इसके लिए इजाजत देगी तो ऐसा किया जा सकता है। एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय बताते हैं कि पिछले साल उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उनकी एक अजा थी कि जो मंत्री जेल जाता है उसे पद से वंचित किया जाना चाहिए। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रिप्रोजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट में ऐसा कोईं प्रावधान नहीं है जो मंत्री को पद से इस्तीफा देना अनिवार्यं करता है। उपराज्यपाल के पास किसी भी इमारत को जेल में बदलने की शक्ति है और अगर केजरीवाल उन्हें नजरबंद करने के लिए मना सकते हैं तो इससे उन्हें दिल्ली सरकार के दिन-प्रातिदिन के कामकाज का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी। भाजपा उधर दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है।

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