चिंता की बात
आखिर हुआ वही जिसकी आशंका थी। ईंरान ने शनिवार और रविवार के मध्यरात्रि अचानक इजरायल पर हमला करते हुए 200 मिसाइलें और ड्रोन दाग दिए। इनमें बैलिस्टिक मिसाइलें, व्रूज मिसाइलें और किलर ड्रोन शामिल थे। इन सभी को इजरायल के एयर डिपेंस सिस्टम ने आसमान में ही नष्ट कर दिया। असल में इजरायल की सुरक्षा व्यवस्था इतनी चौकस है कि बहुत सारी मिसाइलें और ड्रोन आसमान में पहुंच ही नहीं पाए। इजरायल अपनी सुरक्षा कर पाने में सफल इसलिए रहा क्योंकि दुनिया की सबसे तेज तर्रार खुफिया एजेंसियों के जरिए उसने ईंरान के इरादे, तैयारियां और ताकत की जानकारी पहले से ही हासिल करता रहा। इसके अलावा जब कोईं देश शत्रु की हरकतों से सावधान रहता है तो उसकी क्षति कम से कम होती है। इजरायल के पास एरो एरियल डिपेंस सिस्टम की ऐसी तकनीक है जिसके दम पर वह भयानक से भयानक हमले को भी असफल करने की क्षमता रखता है।
इस युद्ध की शुरुआत तो बहुत पहले से ही हो चुकी है, इसलिए यह कहना कि ईंरान ने दमिश्क का बदला लिया है, सही नहीं होगा। इजरायल को खत्म करने की गलत फहमी में वुछ देश अपने स्वप्न संसार में आत्म मुग्ध हैं कितु उन्हें यह पता नहीं है कि इजरायल खुद ही रक्षाक्षेत्र में न सिर्प आत्मनिर्भर है बल्कि दुनिया के ज्यादातर रक्षाक्षेत्र में विकसित देश उसकी सुरक्षा के लिए तत्पर रहते हैं।
अमेरिका में चुनाव का माहौल है और वहां पर यहूदी व्यवसायियों व बुद्धिजीवियों के प्रभाव में सभी सरकारें रहती हैं। इसलिए बिडेन प्रशासन को न चाहते हुए भी इजरायल की मदद के लिए आगे आना होगा।
अमेरिका के अलावा कईं सारे देश इजरायल की सुरक्षा के लिए सक्रिय हो गए हैं कितु ईंरान के लिए कोईं भी देश इतना खुलकर उसकी मदद करने वाला नहीं है जितना कि उसे जरूरत है। अब इस युद्धोन्मादी स्थिति का दुष्प्रभाव तो पूरी दुनिया पर पड़ेगा। दोनों में जीते कोईं भी कितु आर्थिक श्रृंखला एवं शांति के प्रति जो भी संवेदनशील होगा, उसका इस युद्ध से चिन्तित होना स्वाभाविक है।