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मतदाताओं के लिए बड़े चुनावी मुद्दे

👤 Veer Arjun | Updated on:16 April 2024 4:34 AM GMT

मतदाताओं के लिए बड़े चुनावी मुद्दे

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—अनिल नरेन्द्र

स्टेट फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिग सोसाइटीज (सीएसडीएस) के लोकनीति कार्यंव््राम के तहत मतदान से पहले सव्रेक्षण में मतदाताओं के मन को समझने की कोशिश की गईं। सव्रेक्षण में लोगों ने माना की बीते पांच सालों में रोजगार के अवसरों में गिरावट आईं है। जरूरी वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुईं है। इनकी वजह से लोगों को जीवन स्तर संतुलित रखने में परेशानी हो रही है। सव्रेक्षण में शामिल 62 फीसदी मानते हैं कि आज के दौर में नौकरी पाना सबसे कठिन है। शहर से लेकर गांव तक लोगों के पास रोजगार का संकट है। महिलाओं के लिए तो मौके और भी कम हो गए हैं। बेरोजगारी के मुद्दे पर वुल 62% लोगों का मानना है कि लोकसभा 2024 चुनाव में जनता की नजरों में यह सबसे बड़ा मुद्दा है। 62% गांव में, 65% शहरों में और कस्बों में 59% का मानना है कि बेरोजगारी सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है।

वहीं 65% पुरुष और 59% महिलाएं यह मानती हैं। सव्रेक्षण में लोगों ने माना कि बेरोजगारी और महंगाईं के लिए केन्द्र और राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं। उनका मानना था कि सभी वर्गो की बेहतरी के लिए राज्य सरकारों को देश की आर्थिक स्थिति संतुलित रखने के लिए आगे आना चाहिए। जहां तक महंगाईं का सवाल है 76% जनता इससे बुरी तरह प्राभावित है। गरीब वर्ग के 76% लोग, कमजोर वर्ग 70%, मध्य 66%, उच्च मध्यम 68% ऐसा मानते हैं। जहां तक क्षेत्रों का सवाल है 72% गांव, शहर 66%, कस्बा 69% यह मानते हैं। दलित, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग बेरोजगारी और महंगाईं के मुद्दे पर ज्यादा आव््रामक हैं। 67 फीसदी मुस्लिम लोग मानते हैं कि उनके लिए नौकरी खोजना दूर की कौड़ी है। इसी तरह मुस्लिम समुदाय के 76% लोग महंगाईं को लेकर ज्यादा गंभीर हैं। सव्रेक्षण में विकास के मुद्दे पर मतदाता भाजपा के साथ दिखते हैं। हालांकि बेरोजगारी और महंगाईं को लेकर भाजपा के सामने चुनौती है।

सर्वेक्षण में शामिल 50 फीसदी लोगों का मानना है कि भाजपा के लिए ये दोनों मुद्दे गंभीर हो सकते हैं। उच्च वर्ग इन मुद्दों में ज्यादा रूचि नहीं दिखाते पर ग्रामीण बेरोजगारी और कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर ज्यादा आक्रमक हैं। कम पढ़े-लिखे लोग महंगाईं तो अधिक पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर सजग हैं। चुनाव में जो मुद्दे हावी रहे : बेरोजगारी 27%, महंगाईं 23%, विकास 13%, भ्रष्टाचार 8%, राम मंदिर 8%, हिन्दुत्व 2%, भारत की छवि 2%, आरक्षण 2%, अन्य जवाब 9%, और 6% को पता नहीं है। सव्रेक्षण में शामिल सिर्प आठ फीसदी लोगों ने भ्रष्टाचार और राम मंदिर पर खुद से जोर दिया।

अधिकांश मुद्दे चुनावी प्राचार व रैलियों के जरिए ही लोगों में जगह बना रहे हैं। लोकनीति सीएसडीएस ने दिल्ली, उत्तर प्रादेश, बिहार, झारखंड, हरियाणा, राजस्थान समेत वुल 19 राज्यों की 100 संसदीय सीटों के 400 पोलिग बूथों पर ये सव्रेक्षण किया। सव्रेक्षण 28 मार्च से आठ अप्रौल के बीच हुआ। इसमें वुल 19019 लोगों ने भाग लिया। जिनमें अलग- अलग मुद्दे से जुड़े सवालों पर लोगों की राय जानी गईं है। सर्वेक्षण से इतना तो तय हुआ कि जनता इस बार न तो मंदिर-मस्जिद, राम मंदिर इत्यादि मुद्दे पर अपना वोट देगी वे आर्थिक मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देगी बेरोजगारी, महंगाईं, भ्रष्टाचार यह सब बड़े मुद्दे होंगे।

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