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पप्पू यादव ने मुकाबले को रोचक बनाया

👤 Veer Arjun | Updated on:23 April 2024 4:38 AM GMT

पप्पू यादव ने मुकाबले को रोचक बनाया

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—अनिल नरेन्द्र

पप्पू यादव की निर्दलीय उम्मीदवार मौजूदगी ने पूर्णिया चुनाव को रोचक बना दिया है। सोमवार को नाम वापसी की अंतिम तारीख थी। लेकिन पप्पू यादव ने अपना पर्चा वापस नहीं लिया। अब अपने चुनाव निशान वैंची लेकर घूम रहे हैं। कहते हैं कि इसी की धार से महागठबंधन और राजग उम्मीदवारों की जीत को काटूंगा। पूर्णिया की देवतुल्य जनता बतौर निर्दलीय प्रात्याशी एक बार फिर मुझे संसद भेजेगी। इससे राजद और कांग्रेस दोनों के नेताओं में तनाव है।

पप्पू यादव कहते हैं कि पूर्णिया से मुझे असीम प्यार है और मुझे एक बच्चे की तरह पूर्णिया के लोग देखते हैं। यहां हिन्दू-मुसलमान में कोईं भेदभाव नहीं है। यही कारण है कि सभी मुझे बेहद प्यार करते हैं और मेरे दिल में भी पूर्णिया बसा है। यहां से इंडिया गठबंधन की बीमा भारती ने पर्चा भरा है। वे राजद उम्मीदवार हैं। पांच दफा विधायक रही बिहार में मंत्री रहीं। इस दफा वे रुपौली की विधायक सीट जद (एकी) की टिकट पर जीती थीं। उससे इस्तीफा देकर राजद की लालटेन थाम ली और राजद ने सीट बंटवारे के पहले ही इन्हें चुनाव चिह्न् दे दिया था। ये भी चुनावी रण में डटी हैं। इनका पर्चा दाखिल कराने तेजस्वी यादव खुद आए थे। बताते हैं कि हालांकि लालू प्रासाद और राहुल गांधी के समझाने पर भी निर्दलीय तौर पर पप्पू यादव ने पर्चा दाखिल कर दिया। अब दिक्कत यह है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बीमा भारती के लिए प्राचार के लिए जनसभा करने का न्यौता दिया गया है। क्या राहुल राजद उम्मीदवार के पक्ष में प्राचार करने आते हैं या नहीं यह देखना है। इन दोनों का मुकाबला जद (एकी) उम्मीदवार व निवर्तमान सांसद संतोष वुशवाह से है। पूर्णिया के मतदाता उन्हें फिर निर्वाचित करती है या नहीं? लेकिन मुकाबला तिकोना होने की संभावना है।

वैसे 1999 वाली स्थिति भी पूर्णिया दोहरा सकती है। इस चुनाव में पप्पू यादव ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार जीत हासिल की थी। वैसे बीमा भारती के पति अवधेश मंडल आपराधिक छवि के हैं। इनके खिलाफ विभिन्न थानों में एक दर्जन मामले दर्ज हैं। वहीं पप्पू यादव की छवि भी दबंग नेता की रही है। वामदल विधायक अजीत सरकार की हत्या मामले में सजा होने की वजह से 2009 का चुनाव नहीं लड़ सके थे। 2013 में ऊपरी अदालत से ये बरी हो गए थे। पप्पू यादव के मैदान में रहने से पूर्णिया का मुकाबला दिलचस्प हो गया है। सबसे ज्यादा दुविधा कांग्रेस को है जिसने पप्पू को यहां से लड़ाने के लिए वादा किया था। यही नहीं पप्पू यादव ने अपनी पूरी पार्टी को भी कांग्रेस में मिला दिया था। राजद को भी कांग्रेस की मजबूरी समझनी चाहिए थी और पूर्णिया की सीट कांग्रेस को दे देनी चाहिए थी। खैर, जो होना था सो हो गया। अब देखें कि ऊंट किस करवट बैठता है?

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