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आईंएमए को आईंना

👤 Veer Arjun | Updated on:24 April 2024 6:14 AM GMT

आईंएमए को आईंना

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बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कम्पनी की ओर से गलत दावों वाले प्राचार के मामले में सुनवाईं करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईंएमए) पर भी टिप्पणी करते हुए कहा कि आपके डाक्टर भी महंगी और गैर जरूरी दवाओं के प्राचार हेतु ही मरीजों को दवाईं लिखते हैं। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब आप एक अंगुली किसी की ओर उठाते हैं तो चार उंगलियां आप की तरफ भी उठती है। पीठ ने यह भी कहा कि आपके यानि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्य डाक्टर भी महंगी दवाओं का प्राचार करते हैं। उन्होंने पूछा कि यदि ऐसा हो रहा है तो फिर आपसे सवाल क्यों न किया जाए।

दरअसल जब आईंएमए नैतिकता के आधार पर बाबा रामदेव के खिलाफ कार्रवाईं की मांग कर सकता है, तो उसे भी नैतिकता का पाठ अच्छी तरह वंठस्थ रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की यह दलील बिल्वुल सही है कि नैतिकता के मानदंड सभी के लिए अनुवूल एवं विपरीत परिस्थिति में एक जैसे ही रहते हैं, यानि समझौतावाद के लिए कोईं स्थान नहीं छोड़ता। यह तथ्य किसी से छिपा नहीं है कि एलोपैथ के चिकित्सक दवा वंपनियों के प्रातिनिधियों के माध्यम से तमाम सुविधाएं हासिल करते हैं। सरकार अपने अस्पताल के डाक्टरों को भी इस बात के लिए चेतावनी देती है कि वे महंगी दवाएं न लिखें। किन्तु देखा गया है कि सरकारी अस्पताल के डाक्टर इस दिशा निर्देश का उल्लघंन करते हैं।

सरकारी डाक्टरों के इस अनैतिकता को वैध तो कभी भी नहीं ठहराया जा सकता किन्तु वास्तविकता तो यही है कि जो सुख सुविधाएं सरकारी डाक्टरों को निजी दवा वंपनियां उपलब्ध कराती हैं, उतना किसी भी हालत में सरकार की तरफ से डाक्टरों को सुविधाएं उपलब्ध कराना संभव नहीं है। सच तो यह है कि एक सरकारी चिकित्सक मानवता की सेवा करके ही संतुष्ट रहता है। वह अपने मरीजों के लिए भगवान होता है। वहीं भगवान जब वुछ पैसों के लिए मरीज की बजाए दवा वंपनियों के मालिकों की सुविधाओं का ध्यान रखे तो यही उसकी प्रोपेशनल अनैतिकता कहलाती है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट द्वारा आईंएमए पर भी अंगुली उठाकर सराहनीय कार्यं किया है। इससे सभी वर्गो में चेतना की उम्मीद बढ़ी है।

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