बकवास

👤 Veer Arjun | Updated on:26 April 2024 5:15 AM GMT

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ईंरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईंसी की पाकिस्तान यात्रा के समापन पर जारी संयुक्त बयान में कश्मीर मुद्दे का उल्लेख किया गया था। भारत को दोनों देशों की यह हरकत बिल्वुल पसंद नहीं आईं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत ने इस मुद्दे को ईंरानी अधिकारियों के साथ उठाया है। दरअसल रईंसी ने अपनी पहली पाकिस्तान यात्रा के दौरान 22 से 24 अप्रैल के बीच एक संयुक्त बयान में कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का क्षेत्र के लोगों की इच्छा के आधार पर शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए।

सबसे पहले तो ईंरान से ही पूछा जाना चाहिए कि वह अपने देश के नागरिकों की इच्छाओं का कितना ध्यान रखता है। जो ईंरान यूरोपीय देशों और अमेरिका की तरह एडवांस था वहां के नागरिकों का जीवन नारकीय बनाने वाले हुक्मरान भारत को नसीहत देते हैं कि वह अपने ही देश के एक हिस्से को विवादस्पद मान ले। ईंरान की जेलों में अपराधियों से ज्यादा मानवाधिकार के समर्थक बंद हैं, कठोर यातना बर्दाश्त कर रहे हैं। किस मुंह से रईंसी ने भारत को उपदेश दिया, समझ से बाहर है। रही बात पाकिस्तान की तो सबसे पहले उसे बलूचिस्तान, सिंध और गुलाम कश्मीर की जनता से पूछ लेना चाहिए कि क्या वे पाकिस्तान को अपना देश मानते हैं। जितनी हिंसा बलूचिस्तान में होती है उसक दसवां हिस्सा भी जम्मूकश्मीर में नहीं होती। यही तहरीके तालिबान पाकिस्तान तो अफगानिस्तान से लगे क्षेत्र को अपना बताता है।

अगर बड़े लोकतांत्रिक हैं पाकिस्तान के शासक तो उन्हें नार्थ प्रंटियर इलाके को सौंप देना चाहिए टीटीपी को। असल में इन दोनों देशों को दुनियाभर के मुसलमानों की दिखावटी चिंता तो है कितु इनकी हिम्मत चीन के उइगर मुसलमानों के यातना गृहों पर कभी बोलने की नहीं होती। चीन ने पूरा वुरान ही बदलकर वामपंथी शैली में लिखवा दिया। वहां के मुसलमान वही पढ़ने पर मजबूर हैं, लेकिन चीन के ये दोनों दुमछल्ले कभी भी उइगर मुसलमानों की चिंता करने का साहस नहीं करते। अमेरिका ने ईंरान को यूं ही नहीं आतंकवादी देश घोषित किया हुआ है। दूसरे के फटे में टांग अड़ाने की बीमारी पाकिस्तान को तो थी ही अब लेकिन ईंरान भी पीछे नहीं रहा। इन दोनों देशों की जनता महंगाईं से त्रस्त है कितु इन्हें कश्मीर के नाम पर अपनी वूटनीति चमकाने की पड़ी है। पाकिस्तान और ईंरान का कोईं भी प्रदेश जम्मू-कश्मीर से न तो समृद्ध है और न ही उतना दोनों देशों के किसी भी राज्य में विकास हो रहा है।

बहरहाल पाकिस्तान तो 77 सालों से कश्मीर का चूरन बांटते-बांटते वंगाल हो गया अब ईंरान उसका साथ दे रहा है जो खुद ही तमाम प्रतिबंधों तले दबकर हांफ रहा है। भारत सरकार को ईंरान के नईं दिल्ली स्थित राजदूतावास के राजनयिकों से दो टूक शब्‍दों में चेतावनी देनी चाहिए कि उनकी यह बकवास बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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