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धार की ऐतिहासिक भोजशाला में दूसरे दिन साढ़े नौ घंटे चला एएसआई का सर्वे

👤 mukesh | Updated on:23 March 2024 9:05 PM GMT

धार की ऐतिहासिक भोजशाला में दूसरे दिन साढ़े नौ घंटे चला एएसआई का सर्वे

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- स्तंभों पर बने चित्रों पर की कार्बन कोडिंग, दोनों पक्षों के लोग रहे मौजूद

भोपाल (Bhopal)। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार जिला मुख्यालय स्थित ऐतिहासिक भोजशाला का ज्ञानवापी की तरह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई सर्वे) दूसरे दिन शनिवार को भी जारी रहा। एएसआई के दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की टीम ने यहां साढ़े नौ घंटे तक सर्वे का कार्य किया। इस दौरान एएसआई के वकील हिमांशु जोशी, हिंदू पक्ष की ओर से आशीष गोयल और गोपाल शर्मा और कमाल मौलाना वेलफेयर सोसाइटी के समद खान भी सर्वे टीम के साथ भोजशाला में मौजूद रहे। सर्वे के दौरान भोजशाला में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।

एएसआई की टीम ने शनिवार को सुबह आठ बजकर 10 मिनट पर भोजशाला में प्रवेश किया था। वहीं, शाम पांच बजकर 40 मिनट पर टीम वापस लौटी। एएसआई की टीम ने इस दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं की। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच एएसआई टीम रवाना हुई। हिन्दू फ्रंट फार जस्टिस के गोपाल शर्मा और आशीष गोयल ने कहा कि माननीय कोर्ट के आदेश और नियमों के तहत ही अंदर सर्वे किया जा रहा है। उन्होंने अंदर खुदाई करने की बात को हंसकर टाल दिया।

सर्वे टीम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एडीजी डॉ. आलोक त्रिपाठी सहित डॉ. विक्रम भुवन और दल के अन्य सदस्य शामिल थे। टीम अपने साथ वैज्ञानिक जांच के लिए उपकरण भी ले गई थी। जीपीएस सिस्टम, कार्बन डेटिंग सिस्टम के माध्यम से सर्वे कार्य पूरा दिन जारी रहा। टीम ने परिसर में मौजूद स्तंभों की गिनती करने के साथ उन पर उत्कीर्ण लिपि और चिह्न की भी वीडियोग्राफी की। टीम दोपहर के भोजन के लिए भी बाहर नहीं निकली थी, जबकि सदस्यों का खाना भीतर ही भेजा गया था।

गौरतलब है कि भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी और अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे।

कार्बन डेटिंग के लिए की कोडिंग

हिंदू पक्ष के अनुसार एएसआई टीम ने शनिवार को परिसर में तीन से चार स्थानों पर कार्बन डेटिंग के लिए भी कुछ स्थानों पर मार्किंग की है, जिसे कार्बन कोडिंग कहा जाता है। दरअसल, कार्बन डेटिंग की मदद से 50 हजार साल पुराने अवशेष का भी पता लगाया जा सकता है। पत्थर और चट्टानों की आयु भी इससे पता की जा सकती है। कार्बन डेटिंग के लिए चट्टान पर मुख्यत: कार्बन-14 का होना जरूरी है। अगर ये चट्टान पर न भी मिले तो इस पर मौजूद रेडियोएक्टिव आइसोटोप के आधार पर इसकी आयु का पता लगाया जा सकता है।

हिंदू पक्ष ने कहा- परिणाम होंगे सुखद, मुस्लिम पक्ष ने बनाई दूरी

हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा और आशीष गोयल मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एएसआई की तीन अलग-अलग टीमें भोजशाला के अलग-अलग हिस्सों में सर्वे का काम कर रहे हैं। माननीय न्यायालय के आदेश और एएसआई के नियमों के अनुसार ही अंदर सर्वे का काम लगातार जारी है, जो भी संसाधन का कहा गया है, वे उपयोग में लाये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि निश्चित ही हिन्दू समाज के लिए परिणाम सुखद होंगे। वहीं, दूसरी ओर मुस्लिम पक्षकार अब्दुल समद खान सर्वे खत्म होने के बाद सामने नहीं आए।

एएसआई सर्वे के कारण भोजशाला में पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। परिसर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं, साथ ही 60 कैमरों की मदद से भी क्षेत्र की निगरानी की जा रही है। परिसर में खुदाई करने वाले मजदूरों को भी जांच के बाद प्रवेश दिया जा रहा है।

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