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अब 16 दिसंबर जैसी घटना में शामिल कोई किशोर नहीं बचेगा कड़ी सजा से

👤 admin6 | Updated on:7 May 2017 6:25 PM GMT

अब 16 दिसंबर जैसी घटना में शामिल कोई किशोर नहीं बचेगा कड़ी सजा से

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वीर अर्जुन संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 के सनसनीखेज सामूहिक बलात्कार और हत्या की घिनौनी वारदात का एक किशोर अभियुक्त भले ही दूसरे अभियुक्तों से उलट कड़ी सजा से बच गया हो, लेकिन अब 16 साल से उढपर का कोई लड़का यदि ऐसी किसी जघन्य घटना में शामिल पाया गया तो वह कड़ी सजा से बच नहीं सकेगा और न्यायापालिका अपने विवेकानुकसार उसे क"ाsर से क"ाsर सजा सुना सकती है।

सामूहिक बलात्कार की इस घटना के बाद किशोर न्याय कानून में बड़ा बदलाव किया गया है जिसके तहत जघन्य अपराध की घटनाओं में शामिल 16 साल या इससे अधिक उम्र के किशोर पर भी वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है और उसे सख्त सजा भी हो सकती है। दिल्ली की घटना में बीते शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा चार दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रख जाने के बाद फिर से इस मामले के विभिन्न पहलुओं को लेकर बहस शुरू हो गई। इसी से जुड़े एक पहलू ,किशोर अभियुक्त के किसी कड़ी सजा से बचने को लेकर भी सोशल मीडिया में बहस छिड़ गई। किशोर अभियुक्त को सुधारगृह में तीन साल रहने की सजा सुनाई गयी थी और उसे 2015 में रिहा कर दिया गया। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के सदस्य यशवंत जैन का कहना है, ``इस घटना के बाद ही किशोर न्याय कानून में संशोधन किया गया। मौजूदा समय में अगर इस तरह की घटना में कोई किशोर शामिल रहता है तो उस पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है।

और न्यायाधीश अपने विवेकानुसार सख्त से सख्त सजा सुना सकते हैं।''

जैन ने कहा, ``नए कानून के मुताबिक इस तरह की घटना की स्थिति में किशोर न्याय बोर्ड यह देखेगा कि क्या किशोर ने जानबूझकर ऐसा किया है। अगर बोर्ड को लगता है कि किशोर ने जानबूझकर और पूरे होशो-हवास में ऐसा किया है जो उस पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जा सकता है।''

संशोधित किशोर न्याय कानून जनवरी, 2016 में लागू किया गया। हाल ही में मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में निर्मम हत्या के एक मामले में अदालत ने संशोधित कानून के तहत दो किशोरों पर मुकदमा चलाया और दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

वैसे, बाल अधिकारों को लेकर काम करने वाले कई संग"न नए कानून के दुरूपयोग को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं।

बाल अधिकार संरक्षण के लिए काम कर रहे स्वयंसेवी संग"न `चेतना' के निदेशक संजय गुप्ता कहते हैं, ``16 दिसंबर जैसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए और यह बहुत शर्मनाक है। हम कड़ी सजा के पक्ष में भी हैं, लेकिन हमारी आशंका नए कानून के दुरूपयोग को लेकर रही है। जघन्य अपराध को तय करने का पैमाना क्या होगा, इसको लेकर भी कुछ आशंकाएं है। हम चाहते हैं कि कानून का दुरूपयोग न हो।''

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