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छत्तीसगढ़ जवानों के खून से सींची जा रही हैं सड़कें

👤 Admin 1 | Updated on:25 May 2017 7:01 PM GMT

छत्तीसगढ़ जवानों के खून से सींची जा रही हैं सड़कें

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वीर अर्जुन समाचार ब्यूरो

रायपुर। छत्तीसगढ़ का नाम लेते ही यहां नक्सलियों और हिंसा की बात जेहन में आती है। आदिवासियों के द्वार तक विकास पहुंचाने के लिये सरकार यहां सड़कें बनवा रही है। सुकमा जिले में दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग और इंजरम-भेजी मार्ग दो ऐसी सड़के हैं जिनके लिये कहा जाता है कि इन सड़कों के निर्माण में सुरक्षाबलों को भारी कुर्बानी देनी पड़ी है। सुरक्षाबल से प्राप्त आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले तीन साल में इन सड़कों पर पुलिस और नक्सलियों के बीच लगभग 25 मु"भेड़ हुईं जिनमें सुरक्षाबलों के करीब 50 जवान मारे गए हैं।

एक महीने पहले 24 अप्रैल 2017 को धुर नक्सल प्रभावित सुकमा जिले के बुरकापाल स्थित सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के 25 जवानों ने उस सड़क के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया है जो जिले की जीवन रेखा मानी जा रही है। यह सड़क है दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग। 56 किलोमीटर लंबाई वाली निर्माणाधीन इस सड़क के बारे में कहा जाता है कि इस सड़क को पानी से नहीं, बल्कि जवानों ने अपने खून से सींचा है। इस सड़क पर नक्सलियों ने अनेक बार सुरक्षाबलों को निशाना बनाया है। दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग दोरनापाल से शुरू होता है और गोरगुंडा, पोलमपल्ली, कांकेरलंका, पुसवाड़ा, तिमेलवाड़ा, चिंतागुफा, बुरकापाल, चिंतलनार, नारसापुरम से होता हुआ जगरगुंडा तक पहुंचता है। सुकमा जिले में एक और भी सड़क है जिसकी खातिर जवानों की जान की बाजी लगी है।

इंजरम से भेज्जी तक बन रही 20 किलोमीटर लंबाई की इस सड़क पर नक्सलियों ने कई बार सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया है। इंजरम-भेजी मार्ग इंजरम से शुरू होता है और इटेगट्टा, गोरखा, कोत्ताचेरू होता हुआ भेजी पहुंचता है। छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री रामसेवक पैकरा का कहना है कि इन दोनों सड़कों का निर्माण सुकमा क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

इन सड़कों के निर्माण के बाद यहां की जनता तक विकास पहुंच पाएगा। लेकिन नक्सली नहीं चाहते हैं कि आदिवासियों तक विकास पहुंचे और यही कारण है कि वे लगातार इन सड़कों के निर्माण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं। पैकरा ने कहा कि पिछले कुछ समय में इन सड़कों के निर्माण में तेजी आई है। वहीं, सुरक्षाबलों की गतिविधियां भी यहां तेज हुई हैं जिससे नक्सली बौखला गए हैं। हाल के दिनों में इन सड़कों पर सुरक्षाबलों पर हमले की घटना नक्सलियों की बौखलाहट का ही नतीजा है।

राज्य में विशेष पुलिस महानिदेशक ःनक्सल अभियानः और छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन के प्रबंध निदेशक डीएम अवस्थी का मानना है कि दोरनापाल-जगरगुंडा और इंजरम-भेजी सड़क सुकमा जिले की जीवन रेखा मानी जाती है। इन दोनों सड़कों के निर्माण से राज्य में नक्सल समस्या को हल करने में मदद मिलेगी।

विशेष पुलिस महानिदेशक कहते हैं कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सबसे ज्यादा समस्या पहुंच मार्गों की है। यहां सड़कें का निर्माण किया जाता है तो आदिवासी ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं का बेहतर तरीके से लाभ मिलेगा। लेकिन नक्सली इससे डरे हुए हैं क्योंकि वे जानते हैं कि यदि आदिवासियों तक सरकार की सीधी पहुंच बन गयी तो वे उनसे दूर हो जाएंगे और उनकी ताकत कमजोर होगी। नक्सली अपने प्रभाव को किसी भी कीमत पर कमजोर नहीं होने देना चाहते हैं जिसके लिए वे सुरक्षाबलों पर हमले करते हैं और सड़कों को नुकसान पहुंचाते हैं।

राज्य के वरिष्" पुलिस अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग और इंजरम-भेजी मार्ग सुकमा जिले का अत्यंत संवेदनशील मार्ग है। इसका निर्माण शासन और सुरक्षाबलों के लिए एक चुनौती है और इसका निर्माण शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है।

रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में अधिकार बनाए रखने के लिए नक्सलियों ने कई बड़े हमलों को अंजाम दिया है जिनमें 29 अगस्त वर्ष 2007 में चिंतलानार और चिंतागुफा के मध्य ताड़मेटला के पास नक्सली हमले में 12 जवानों की मृत्यु, 10 अप्रैल वर्ष 2009 में चिंतागुफा थाना क्षेत्र में मिनपा गांव के पास लोकसभा चुनाव दल पर हमले में 10 अधिकारियों और कर्मचारियों की मृत्यु, छह मई वर्ष 2009 में इंजरम के नजदीक बारूदी सुरंग विस्फोट में 11 लोगों की मृत्यु, छह अप्रैल वर्ष 2010 में ताड़मेटला के पास नक्सली हमले में 76 जवानों की मृत्यु, एक दिसंबर वर्ष 2014 में चिंतागुफा थाना क्षेत्र के कसालपाड़ के करीब नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 14 जवानों की मृत्यु, 11 अप्रैल वर्ष 2015 में चिंतागुफा थाना क्षेत्र के पिड़मेल में नक्सली हमले में सात जवानों की मृत्यु और इस वर्ष मार्च महीने में भेजी थाना क्षेत्र के वंकुपारा के पास नक्सली हमले में 12 जवानों के शहीद होने की घटना शामिल है।

अधिकारियों ने बताया कि दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग के प्रथम नौ किलोमीटर सड़क का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है जिसमें से दोरनापाल से गोरगुंडा के मध्य आ" किलोमीटर में डामरीकरण और शेष एक किलोमीटर में आधार ःजीएसबीः कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

अधिकारियों ने बताया कि शेष 47 किलोमीटर ः10 से 56 किलोमीटरः का कार्य छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन द्वारा कराया जा रहा है। इसमें आधार ःजीएसबीः का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस मार्ग में पांच थानों के अतिरिक्त केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की 15 कंपनियां 11 स्थानों पर तैनात हैं जिनकी सहायता से मार्ग निर्माण कार्य को सुरक्षा प्रदान की जा रही है। इस सड़क की लागत 122 करोड़ रूपए है।

अधिकारियों ने बताया कि इसी तरह इंजरम-भेजी सड़क के प्रथम सात किलोमीटर निर्माण का कार्य लोक निर्माण विभाग को सौंपा गया है। जिसमें से इंजरम से इटेगटटा के मध्य चार किलोमीटर में सीमेंट कंक्रीट ःसीसीः और शेष तीन किलोमीटर में आधार ःजीएसबीः कार्य पूर्ण कर लिया गया है।

उन्होंने बताया कि शेष 13 किलोमीटर ःआ" से 20 किलोमीटरः का कार्य छत्तीसगढ़ पुलिस हाउसिंग कार्पोरेशन द्वारा कराया जा रहा है जिसमें सात किलोमीटर में सीमेंट कंक्रीट ःसीसीः का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस मार्ग पर एक थाने के अतिरिक्त सीआरपीएफ की सात कंपनियां पांच स्थानों पर तैनात हैं। इस सड़क की लागत 35 करोड़ रूपए है।

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