लोकतंत्र में पूर्व-सेंसरशिप नहीं हो सकती ःदिल्ली उच्च न्यायालय
नई दिल्ली, (विसं)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑटो-रिक्शों पर विज्ञापन के संबंध में आप सरकार की नीति को लेकर उससे आज कहा कि लोकतंत्र में पूर्व-सेंसरशिप नहीं हो सकती और यदि कोई इश्तहार सांप्रदायिक या अश्लील है तो सरकार को मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करनी चाहिए।न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने कहा, ``लोकतंत्र में यह ःपूर्व-सेंसरशिपः नहीं होना चाहिए। पूर्व-सेंसरशिप या राजनीतिक विज्ञापनों की पाबंदी की क्या जरूरत है? आप यह कैसे कर सकते हैं। कोई नागरिक राजनीतिक हो सकता हे।''
अदालत ने कहा कि अगर कोई इश्तहार सांप्रदायिक या अश्लील है तो सरकार को मौजूदा कानून के अनुसार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।इस बीच दिल्ली सरकार ने अदालत में कहा कि वह ऑटो-रिक्शा समेत जन सेवा वाहनों पर विज्ञापनों के संबंध में एक नई नीति ला रही है और उसमें राजनीतिक विज्ञापनों के खिलाफ प्रतिबंध को हटाया जाएगा।हालांकि दिल्ली सरकार ने कहा कि पूर्व-सेंसरशिप जरूरी है। लेकिन अदालत ने इस पर सहमति नहीं जताई।पी" ने सरकार को अदालत के समक्ष अपनी नीति रखने का समय देते हुए मामले पर सुनवाई के लिए नौ अगस्त की तारीख तय की।पी" जन सेवा वाहनों पर इश्तहारों को लेकर अगस्त 2014 में आई तत्कालीन दिल्ली सरकार की नीति के खिलाफ कुछ ऑटो संघों की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है।