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जेपी हॉस्पिटल ने बनाया हिन्दू और मुस्लिम परिवारों के बीच जन्म-जन्मों का अटूट बंधन

👤 admin6 | Updated on:22 May 2017 7:25 PM GMT

जेपी हॉस्पिटल ने बनाया हिन्दू और मुस्लिम परिवारों के बीच जन्म-जन्मों का अटूट बंधन

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वीर अर्जुन संवाददाता

नई दिल्ली।जेपी हॉस्पिटल ने स्वास्थ्य सेवा का धर्म निभाने के साथ-साथ सामाजिक भाई-चारे को मजबूत करने की दिशा में कमाल का काम कर दिखाया है। जेपी हॉस्पिटल ने अपने प्रयासों से न केवल हिंदू और मुस्लिम परिवारों के बीच जन्म-जन्मों का बंधन बनाया बल्कि दो महिलाओं के पति की जान भी बचाई। जेपी हॉस्पिटल ने यह आश्चर्यजनक कार्य उस वक्त कर दिखाया, जब ग्रेटर नोएडा-बागपत निवासी दो महिलाएं बीमार पति के जीवन की आस छोड़ चुकी थीं। दोनों परिवारों ने उम्मीद तो छोड़ ही दी थी साथ ही परिस्थिति से पूरी तरह हारकर भाग्य के भरोसे बैठ गए थे। ऐसे समय जब घर का वातावरण पूरी तरह से गमगीन हो गया था और आशा की कोई किरण दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही थी, तब जेपी हॉस्पिटल के प्रबंधक एवं चिकित्सकों की टीम ने दुनिया का आठवां अजूबा जैसे कार्य को साकार कर दिखाया।

यह सफलताजेपी हॉस्पिटल के प्रबंधक एवं चिकित्सकीय टीम (किडनी प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. अमित देवड़ा, डॉ. मनोज अग्रवाल, डॉ. अब्दुल मनन एवं नेफ्रोलॉजी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अनिल भट्ट, डॉ. भीम राज, डॉ. हारूल) को मिली।जेपी हॉस्पिटल में सेवारत प्रसिद्ध नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. अनिल भट्ट ने दोनों मरीज के बारे में विस्तार से बताया, "ग्रेटर नोएडा निवासी 29 वर्षीय मरीज इकराम मेरे पास और बागपत निवासी 36 वर्षीय वर्षीय राहुल, वरिष्ठ किडनी सर्जन डॉ. अमित देवड़ा के पास अपनी किडनी संबंधित बीमारी की जांच कराने आए। जांच में यह पता चला कि दोनों की किडनियां पूरी तरह खराब हो गई थीं और प्रत्यारोपण के लिए दोनों को एक-एकदाता की जरूरत थी। संयोग से दोनों मरीजों केपरिवार का कोई भी सदस्य किडनी दाता के लिए उपयुक्त नहीं था। केवलइकराम की 24 वर्षीय पत्नी रजिया और राहुल की 38 वर्षीय पत्नी पवित्रा ही किडनी दाता के रूप में योग्य थीं।इसके बाद भी दाता और प्राप्तकर्ता (रजिया- बीपॉजिटिव, इकराम-एपॉजिटिव) (राहुल- बीपॉजिटिव,पवित्रा-एपॉजिटिव) के बीच ब्लड ग्रुप एक नहीं होने के कारण दोनों अपने-अपने पति को किडनी दान नहीं कर सकती थीं।

दोनों परिवार पूरी तरह नाउम्मीद हो चुके थे और डायलिसिस के भरोसे, किसी तरह मरीजों की जिंदगी बचाई जा रही थी। ऐसी स्थिति में जेपीहॉस्पिटल ने स्वास्थ्य सेवा धर्म निभाने के साथ-साथ अपनी तरफ से अतुल्नीय भूमिका का निर्वहन करते हुए न सिर्फ इकराम और राहुल के जीवन को सुरक्षित करने के नामुमकिन कार्य को सफल कर दिखाया बल्कि एक साथ दोनों परिवारों के दीपक को बुझने से भी बचाया।

जेपी हॉस्पिटल के किडनी प्रत्यारोपण विभाग के वरिष्ठ सर्जन एवं संयोजक डॉ. अमित देवड़ाने आगे बताया, "चिकित्सकों की टीमने दोनों परिवारों के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। उन्हें यह बताया गया कि ऐसी स्थिति में यदि दोनों महिलाएं एक-दूसरे के पति के लिए किडनी का दान करें तो दोनों मरीज का जीवन बचाना संभव है। डॉक्टर्स की टीम ने दोनों परिवारों को किडनी विनिमय प्रत्यारोपण प्रािढया के बारे में समझाया। अच्छी बात यह हुई कि उनके परिवार वालों ने किसी तरह की हिचकिचाहट नहीं दिखाई। दोनों महिलाओं ने आगे आकर किडनी दान करने का निर्णय लिया। इसके बाद अगली प्रािढया के तहतकरीब 5 घंटे चले ऑपरेशनमें इकराम की पत्नी रजिया की किडनी राहुल को और राहुल की पत्नी पवित्रा की किडनी इकराम को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित की गईं।

हिंदू और मुस्लिम परिवारों के संबंधों को एक साथ जोड़ने और किडनी विनिमय प्रत्यारोपण को सफल बनाने में निभाई गई अमूल्य भूमिका पर उत्साहित जेपी हॉस्पिटल के सी... डॉ. मनोज लूथरा ने कहा, "इकरामपिछले एक साल से और राहुल पिछले तीन महीने से डायलिसिस कराने को मजबूर था। दोनों परिवारों के पास कोई दाता नहीं होने के कारण दोनों मरीज की जान खतरे में थी। जेपी हॉस्पिटल ने इस सफल किडनी प्रत्यारोपण के माध्यम से मानव धर्म तथा चिकित्सकीय धर्म को एक साथ निभाया और दोनों मरीजों की जिंदगी बचाकर एक नई उपलब्धि हासिल की। वास्तव में जेपी हॉस्पिटल का लक्ष्य ही स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करना है और इस सफलता को पाकर हमने यह कर दिखाया है।"

उन्होंने यह भी कहा कि सही मायने में जेपी हॉस्पिटल की अनोखी भूमिका के कारण न सिर्फ दो मरीजों की जान बची बल्कि हिंदू और मुस्लिम परिवारों का संबंध भी हमेशा-हमेशा के लिए एक-साथ जुड़ गया। दोनों महिलाओं ने अपने महान दान से समाज की बहुत ही खूबसूरत तस्वीर पेश की है, जो आज हम सब के लिए प्रेरणा बन चुकी है।

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