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क्रान्तिकारी संगठनों ने अमर शहीद सुखदेव का जन्म दिन मनाया

👤 Admin 1 | Updated on:16 May 2017 7:22 PM GMT
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राजकुमार / लुधियाना: शहीद सुखदेव के जन्म स्थान नौघरा मोहल्ला पर बिगुल मज़दूर दस्ता, लोक मोर्चा पंजाब, और इंकलाबी केन्द्र पंजाब द्वारा संयुक्त तौर पर शहीद सुखदेव का जन्मदिन मनाया गया। घण्टा घर चौंक के नज़दीक नगर निगम कार्यालय से लेकर नौघरा मोहल्ला तक पैदल मार्च किया गया। शहीद सुखदेव की यादगार पर लोगों ने श्रद्धांजलि के फूल भेंट किए। इलाके में संगठनों द्वारा जारी एक पर्चा भी बाँटा गया। जगह-जगह नुक्कड़ सभाएँ की गई। इस अवसर पर बिगुल मज़दूर दस्ता की नेता बलजीत, लोक मोर्चा पंजाब के नेता कस्तूरी लाल और इंकलाबी केन्द्र पंजाब के नेता जसवंत जीरख ने अपने विचार पेश किए। मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के हरजिन्दर सिंह, इंकलाबी नौजवान विद्यार्थी मंच के हर्ष ने भी विचार पेश किए। मंच संचालन बिगुल मज़दूर दस्ता के राजविन्दर ने किया। वक्ताओं ने कहा कि उनके लिए शहीद सुखदेव को याद करना कोई रस्मपूर्ति नहीं है। क्रान्तिकारी शहीदों की कुर्बानियाँ मानवता की लूट, दमन, अन्याय के खिलाफ़ जूझने वालों के लिए हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रही हैं। उन्होंने कहा शहीद सुखदेव और उनके साथी सिर्फ अंग्रेज हकूमत से आजादी के लिए नहीं लड़ रहे थे। शहीद सुखदेव व उनके साथियों के विचारों के जितने बड़े दुश्मन अंग्रेज हाकिम थे, उतने ही बड़े दुश्मन भारतीय हाकिम भी हैं। अपनी फाँसी से तीन दिन पहले पंजाब के गवर्नर को लिखे खत में सुखदेव, भगतसिंह और राजगुरु ने लिखा था - ''... युद्ध छिड़ा हुआ है यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी जब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पूँजीपति या सर्वथा भारतीय ही हों या दोनों मिले हुए...इस स्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता।''वक्ताओं ने कहा कि सुखदेव का यह स्पष्ट मानना था कि सिर्फ अंग्रेजी गुलामी से मुक्ति से ही मेहनतकशों की जिन्दगी बेहतर नहीं हो जाएगी, कि जब तक समाज के समूचे स्रोत-संसाधनों पर मेहनतकश लोगों का कब्जा नहीं हो जाता तब तक जनता बदहाल ही रहेगी। वे समाज के स्रोत-साधनों पर चंद धन्नाढ्यों का कब्जा नहीं चाहते थे बल्कि उनकी लड़ाई तो समाजवादी व्यवस्था कायम करने के लिए थी। सुखदेव ने लिखा था- ''हिन्दुस्तानी सोशियलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी के नाम से ही पता साफ पता चलता है कि क्रान्तिवादियों का आदर्श समाज-सत्तावादी प्रजातंत्र की स्थापना करना है।''वक्ताओं ने शहीद सुखदेव को धर्म, जाति, बिरादरी, क्षेत्र आदि से जोडक़र उनकी कुर्बानी के महत्व को घटाने व उनके विचारों पर्दा डालने की जाने-अनजाने में हो रही कोशिशें का विरोध करते हुए कहा कि उनकी लड़ाई तो समूची मानवता को हर तरह की आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक गुलामी, लूट, दमन, अन्याय से मुक्त करने की थी। मेहतनकश लोगों का गरीबी-बदहाली, बेरोजग़ारी से छुटकारा धर्मों, जातियों, क्षेत्रों आदि के भेद मिटाकर एकजुट होकर लुटेरे हाकिमों के खिलाफ क्रान्तिकारी वर्ग संघर्ष के जरिए ही हो सकता है। वक्ताओं ने कहा कि अमीरी-गरीबी की बढ़ती खाई, बेरोजगारी, इलाज योग्य बीमारियों से भी मौतें, बाल मज़दूरी, स्त्रियों के विरुद्ध बढ़ते अपराध, गरीबों की शिक्षा से बढ़ती दूरी, वोटों के लिए लोगों को धर्म-जाति आधारित साम्प्रदायिकता की आग में झोंक देने की तेज़ हो रही घिनौनी साजिशें, कदम-कदम पर साधारण जनता पर बढ़ता जा रहा ज़ोर-जुल्म - यही वो आज़ादी है जिसके गुणगान देश के हाकिम पिछले 70 वर्षों से करते आएँ हैं। देशी-विदेशी धन्नासेठ मालामाल हैं, लेकिन लोग कंगाल हैं। गरीबी-बदहाली के महासागर में अमीरी के कुछ टापू- यही है आज़ाद भारत की भयानक तस्वीर। जनता के हकों के लिए संघर्षशील लोगों को देशद्रोही करार देकर दमन किया जा रहा है। जब से केन्द्र में मोदी सरकार बनी है तबसे जनाधिकारों पर हमला और भी तेज़ हो गया है। उन्होंने कहा कि शहीद सुखदेव और उनके साथियों के सपनों का समाज बनना अभी बाकी है। उन्होंने शहीद सुखदेव के जन्मदिन पर इंकलाबी शहीदों की सोच अपनाने व फैलाने का प्रण करने व उनके सपनों के समाज के निर्माण की ज़ोरदार तैयारी में जुट जाने का आह्वान किया।

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