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खजुराहो के मंदिरों के मूर्तिशिल्प में जीवन का हर रंग

👤 Admin 1 | Updated on:5 May 2017 7:22 PM GMT

खजुराहो के मंदिरों के मूर्तिशिल्प में जीवन का हर रंग

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बुंदेलखंड क्षेत्र में छतरपुर जिले के इस छोटे से गांव को देखकर कौन कहेगा कि यह वही खजुराहो है जिसे महान चंदेलों ने अपनी राजधानी बनाया और कोई पांस सौ साल तक यहां राज किया। आज यह गांव चंदेल राजाओं द्वारा 9500 से 10000 तक नागर शैली में बनाए गए 85 मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इनमें से अधिकांश मंदिर ब्रिटिश शासन के दौरान नष्ट हो गए या खंडहर में बदल गए। अब केवल 22 मंदिर ही सही अवस्था में दिखाई देते हैं।

खजुराहो के मंदिर विश्व के लिए अनुपम भेंट हैं। इसके मूर्तिशिल्प में जीवन का हर रंग बड़ी सुंदरता के साथ चित्रित है। यहां भवन निर्माण कला और मूर्तिकला का अद्भुत समन्वय दिखाई पड़ता है। सभी मंदिरों और मूर्तियों में ग्रेनाइट और बलुआ पत्थरों का प्रयोग हुआ है। मूर्तिकला के ऐसे कई फलक हैं जिन पर सामाजिक जीवन, नृत्य संगीत और प्रणय के मनोहारी चित्र देखे जा सकते हैं।

ये मंदिर आठ किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। इन्हें तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। पश्चिमी क्षेत्र में सर्वाधिक और महत्वपूर्ण मंदिर हैं। यहां चौंसठ योगिनी, कंदरिया, महादेव मंदिर, देवी जगदंबा, चित्रगुप्त, विश्वनाथ मंदिर, वराह और नंदी मंदिर हैं। दक्षिणी हिस्से में हुलादेव मंदिर और चतुर्भुज मंदिर हैं। पूरब की ओर सभी जैन मंदिर हैं जैसे पार्श्वनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, शांतिनाथ मंदिर और हिंदू मंदिरों में जावरी मंदिर, वमण मंदिर और हनुमान मंदिर भी है। सभी मंदिर ठोस और ऊंचे चबूतरे पर बने हैं।

मंदिर का प्रवेश द्वार वास्तुशिल्प का अनूठा उदाहरण है। कंदरिया महादेव का मंदिर खजुराहो का विशिष्ट मंदिर है। मुख्य भवन में संगमरमर से बना शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का मुख पूरब की ओर है और दूसरा प्रवेश द्वार सिर्फ एक चट्टान से बनाया गया है। बगल में ही देवी जगदंबा का मंदिर है। यह पहले भगवान विष्णु को समर्पित था। मगर बाद में इस मंदिर में देवी की मूर्तियों के कारण इसका नाम जगदंबा रख दिया गया।

विश्वनाथ मंदिर का निर्माण राजा धनंगदेव ने कराया था। उन्होंने इस मंदिर में एक शिवलिंग स्थापित कराया था। पन्ने और एक पत्थर के मिश्रण से बना वह शिवलिंग आज नहीं है। मंदिर के शिखर का आकार शंकु की तरह है। दुलादेव मंदिर को बना अंतिम मंदिर माना जाता है। यहां नाचती अप्सराओं की मूर्तियों और तैरती आकृतियां बनी हैं।

इस मंदिर में बाकी मंदिरों की तरह गर्भगृह, अंतराल, महामंडप के अतिरिक्त मूर्तियों की तीन चौड़ी पटि्टयां हैं। लक्ष्मण मंदिर में मूर्तिकार ने एक के ऊपर एक मूर्तियां बनाई हैं। इन सभी मंदिरों में आंतरिक और बाहरी दीवारों को तराशा गया है।

खजुराहो के मंदिरों में चंदेल काल के सामाजिक जीवन के अलावा नृत्य और संगीत की छटा दिखती है। उस काल की अर्थव्यवस्था और धार्मिक स्थित किी भी विस्तृत जानकारी मिलती है। कहीं नृत्य की मुद्रा में संगीत वादन करती नारी की मूर्तियां दिखाई देती हैं। तो कहीं मुग्धा स्त्री आइने में खुद को निहारती दिखती है। कहीं कोई नारी सिंदूर और काजल लगाती दिखती है। मुख्य मंदिर की दीवारों पर प्रणयरत युगलों की मूर्तियां बरबस मन मोह लेती हैं। संभवतः इसलिए न केवल भारतीय अपितु विदेशी पर्यटक भी यहां खिंचे चले आते हैं।

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