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एमपी-छत्तीसगढ़ की कैंडिडेट लिस्ट में इस बार जाति समीकरण पर जोर, समझें इस फॉर्म्युला को

👤 Veer Arjun | Updated on:19 Aug 2023 7:52 AM GMT

एमपी-छत्तीसगढ़ की कैंडिडेट लिस्ट में इस बार जाति समीकरण पर जोर, समझें इस फॉर्म्युला को

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नई दिल्ली। भाजपा ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। मध्य प्रदेश में पार्टी ने 28 उम्मीदवारों को दोहराया है और 11 नए चेहरे उतारे हैं। वहीं, छत्तीसगढ़ में पार्टी ने एक को छोड़कर सभी उम्मीदवारों को बदल दिया है। बड़ी बात है कि पार्टी ने चुनावों की घोषणा से पहले ही उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है।

भाजपा ने साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए मिश्रित फॉर्मूला अपनाया है। उसने मध्य प्रदेश के लिए अपनी पहली सूची में 28 उम्मीदवारों को दोहराया है, जबकि छत्तीसगढ़ में केवल एक को। बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में ज्यादातर नए चेहरों को तरजीह दी है। वहीं, तेलंगाना में पार्टी विधानसभा चुनावों के लिए कई सांसदों को मैदान में उतारने की संभावना तलाश कर रही है। एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भाजपा ने गुरुवार को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए अपनी पहली सूची की घोषणा कर दी। केंद्र के सत्ताधारी दल ने कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार से सबक लेते हुए दोनों राज्यों के लिए विधानसभा चुनाव की घोषणा से कई महीने पहले अपने उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी कर दी।

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए घोषित उम्मीदवारों के विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टी इस बार जाति समीकरणों पर भरपूर दांव लगा रही है और कई ओबीसी को चुनावी मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश के 39 उम्मीदवारों में से 13 ओबीसी के हैं, इसके अलावा 13 एससी और आठ एसटी हैं। छत्तीसगढ़ में 21 उम्मीदवारों में से एक को छोड़कर कोई सामान्य जाति से नहीं है। बीजेपी की पहली लिस्ट में 12 उम्मीदवार जनजातीय समुदाय से हैं, जिनमें से दो को सामान्य सीटों से, एक एससी, सात ओबीसी और एक सामान्य सीट से टिकट दिया गया है।

भाजपा ने मध्य प्रदेश के लिए घोषित सूची में केवल 11 नए चेहरे जोड़े हैं। इनमें से ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार रणवीर जाटव को हटा दिया गया है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्यक्ष लाल सिंह आर्य को उनकी सीट से उतारा गया है। मध्य प्रदेश में भाजपा की गहरी जड़ों वाला संगठनात्मक ढांचा है। पार्टी यहां कम से कम पहली सूची में बहुत अधिक प्रयोग करती नहीं दिखी है। फिर भी, कुछ उम्मीदवारों की सीटों की पसंद को नजरअंदाज किया गया है। भोपाल उत्तर से उसके उम्मीदवार आलोक शर्मा एक उदाहरण हैं। इसी तरह, ओमप्रकाश धुर्वे चाहते थे कि वे डिंडोरी सीट से लड़ें, लेकिन उन्हें शाहपुरा दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सभी उम्मीदवारों को बदल दिया है, एक को छोड़कर जिसकी सीट बदल दी गई है। कई नए उम्मीदवार जिला पंचायत सदस्य हैं। कुछ उम्मीदवार ऐसे हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के वफादार माने जाते हैं। भाजपा तेलंगाना के लिए भी उम्मीदवारों की घोषणा जल्द-से-जल्द कर सकती है, जहां कांग्रेस का ग्राफ बढ़ रहा है और भाजपा सत्तारूढ़ बीआरएस के साथ तीन-तरफा लड़ाई में खोई हुई जमीन हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। सांसदों को विधायक उम्मीदवार के रूप में घोषित करने पर विचार किया जा रहा है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो एक केंद्रीय मंत्री को भी विधानसभा का चुनाव लड़ाया जा सकता है।

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