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लीना चन्द्रावाकर, जिसका चांद सा चेहरा दीवाली के दिन उदास हो जाता है

👤 admin 4 | Updated on:22 May 2017 5:59 PM GMT

लीना चन्द्रावाकर, जिसका चांद सा चेहरा दीवाली के दिन उदास हो जाता है

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कैलाश सिंह

वह विधवा थी और वह पहले तीन बार शादी कर चुका था। दोनों की आयु में 21 वर्ष का अंतर था यानी वह उसके बेटे से मात्र दो साल बड़ी थी। उनकी आपस में मिलने की सम्भावना न के बराबर थी, कम से कम उस दृष्टि से जिस फ्रकार वह आखिरकार मिले थे। हालांकि, लीना चन्द्रावाकर ने किशोर कुमार को पहली बार 1968 में अपनी पहली फिल्म 'मन का मीत' की शूटिंग के दौरान देखा था, लेकिन दोनों का औपचारिक परिचय 1979 से पहले न हो सका और वह भी पूर्णतः फ्रोफेशनल कारणों से। किशोर कुमार चाहते थे की लीना चन्द्रावाकर 'प्यार अजनबी है' की पटकथा को पढें। इस फिल्म पर काम करते हुए दोनों ने एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझा, लेकिन हिरणी जैसी आंखो वाली अभिनेत्री को महान गायक से फ्रेम नहीं हुआ था, कम से कम उस समय तक। अपने पहले पति सिद्धार्थ बांदोडकर की दुखद मौत की यादें लीना चन्द्रावाकर के मन में अभी तक ताजा थी।

लेकिन किशोर कुमार को अधिक समय नहीं लगा लीना चन्द्रावाकर को यह समझाने में कि 'प्यार अजनबी नहीं होता' और वह ही उनके 'मन के मीत' हैं। इसके बावजूद लीना चन्द्रावाकर के पिता इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थे। इसलिए किशोर कुमार सीधे धारवाड़ गए, जहां लीना चन्द्रावाकर के पैरेंट्स रहते थे, और उनके घर के सामने लगभग धरने पर बै" गए और अपने गले की पूरी जान से यह गाते हुए 'नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूं' (जोनी मेरा नाम)। आखिरकार लीना चन्द्रावाकर के पिता का दिल पिघल गया और 'झुमरू' ने 'मनचली' से 1980 में शादी कर ली। दो साल बाद दोनों के एक बेटा सुमित कुमार हुआ।

लीना चन्द्रावाकर का जन्म 29 अगस्त 1950 को धारवाड़ (कर्नाटक) में मरा"ाr बोलने वाले परिवार में हुआ था। उनके पिता सेना में अधिकारी थे। बस्सेल मिशन हाई स्कूल से शिक्षा फ्राप्त करने के बाद उन्होंने फिल्मफेयर द्वारा आयोजित सौन्दर्य फ्रतियोगिता में 'फ्रेश फेस' का रनर्स अप खिताब जीता, जिससे उनमें फिल्मों में काम करने का आत्मविश्वास आ गया। लेकिन बॉलीवुड में जगह पाना आसान नहीं होता है और वह बहन या अन्य चरित्र भूमिकाएं करने के लिए तैयार नहीं थीं, इसलिए फ्रिंट विज्ञापनों में काम करने लगीं, जहां अपने चांद से गोल चेहरे व मासूम मुस्कान के कारण उन्हें अच्छी सफलता मिली। एक विज्ञापन देखकर सुनील दत्त ने न केवल उन्हें 'मन का मीत' में हीरोइन के रूप में साइन किया बल्कि उन्हें ग्रूम करने की जिम्मेदारी नर्गिस को सौंपी। नर्गिस ने उनकी हिंदी व उनके गैर क्लासिकल नृत्य को सुधारा और उन्हें वाहन चलाना भी सिखाया। इस मजबूत ट्रेनिंग के बाद यह स्वाभाविक था कि लीना बड़े-बड़े अभिनेताओं के साथ सफल फिल्में देतीं जैसे दिलीप कुमार (बैराग), राजेश खन्ना (महबूब की मेहंदी), जितेन्द्र (हमजोली), संजीव कुमार (मनचली) आदि।

लीना जब 25 साल की हुईं तो उनके सारस्वत ब्राह्मण पिता श्रीनाथ चन्द्रावाकर ने उनका रिश्ता गोवा के पहले मुख्यमंत्री दयानंद बांदोडकर के बेटे सिद्धार्थ से तय कर दिया। दोनों का विवाह 8 दिसम्बर 1975 को हुआ, लेकिन जब 18 दिसम्बर को वह अपने हनीमून पर जाने के लिए निकल रहे थे तो सिद्धार्थ को दुर्घटनावश अपनी ही बंदूक से गोली लग गई। उन्हें मुंबई के जसलोक अस्पताल ले जाया गया, जहां से उन्हें छुट्टी तो मिल गई, लेकिन वह पूरी तरह से "rक नहीं हो पाए बावजूद इसके कि लीना ने उनकी जमकर सेवा की, जिस दौरान दोनों को एक दूसरे से बेहद फ्रेम भी हो गया, परन्तु शादी के 6 माह के भीतर ही लीना मात्र 25 वर्ष की आयु में विधवा हो गईं।

सिद्धार्थ के जन्म से पहले लीना की सास सात बेटों को खो चुकी थीं। उन्होंने सिद्धार्थ को बड़ी ही मन्नतों के बाद पाया था। बेटे को जन्म देने से पहले लीना की सास, जिनके पांच बेटियां भी हैं, सपने में कोबरा देखती थीं, लेकिन सिद्धार्थ के जन्म से पहले उन्होंने कोबरा नहीं देखा था। सिद्धार्थ की शादी से 6 माह पहले उन्हें सपने में फिर कोबरा दिखाई दिया, उन्हें लगा कि शादी करने से सिद्धार्थ की किस्मत बदल जायेगी, इसलिए मांगलिक लीना से उन्होंने सिद्धार्थ की शादी कर दी, पर उन्हें क्या पता था कि दिवाली के दिन उन्हीं के घर का चिराग बुझ जायेगा।

लीना की दिवाली से बहुत काली यादें जुड़ी हुई हैं। दिल की बीमारी के कारण उनकी मां का निधन दिवाली के दौरान हुआ। उनके भाई अनिल ने दिवाली पर ही आत्महत्या की थी। उनके दोनों पतियों सिद्धार्थ व किशोर का निधन भी दिवाली के दिन ही हुआ। इसलिए यह त्यौहार उनमें उदासी भर देता है, लेकिन किशोर कुमार, जिनके साथ उनका विवाहित जीवन सात साल था, के शब्द उनको दिलासा देते हैं- 'तुम टूरिस्ट हो, जिंदगी से ज्यादा उम्मीद मत करो।'

सिद्धार्थ जब अस्पताल में थे तो जीवन नामक एक वार्ड ब्वॉय से वह किशोर कुमार का गाया गीत 'यह जीवन है' (पिया का घर) बहुत शौक से सुना करते थे। जब लीना व सिद्धार्थ की सगाई हुई तो वह लोनावाला गये थे जहां किशोर कुमार अपनी तीसरी पत्नी योगिता बाली के साथ थे। उन्हें देखकर सिद्धार्थ ने मजाक में कहा था, "अगर किशोर तुम्हें फ्रोपोज करे तो क्या तुम उससे शादी करोगी?' इस पर लीना ने भड़क कर कहा था कि कभी नहीं। वर्षों बाद उन्हें एहसास हुआ कि कभी '' नहीं कहना चाहिए। 7 नवम्बर 1976 को सिद्धार्थ का निधन हो गया। लीना पूरी तरह से टूट गईं। उनके लिए इस सदमे से निकल पाना क"िन था। वह वापस अपने पिता के पास धारवाड़ चली गईं। एक सुबह वह अपने आंगन में खड़ी हुई थीं, उनकी पडोसन तुलसी को पानी दे रही थी। वह उसे देखकर मुस्कुराईं, लेकिन वह तुरंत घर के अंदर भाग गई। विधवा को देखना अशुभ माना जाता है। लीना डिफ्रेशन में चली गईं। वह नींद की गोलियां लेती व सोती रहती। ऐसे में किशोर उनके जीवन में फरिश्ता बनकर आए। लेकिन उन दोनो का विवाहित जीवन की उम्र केवल सात साल ही थी।

किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को हुआ। 30 साल गुजर जाने के बाद भी लीना अकेली जरूर हैं, लेकिन अकेलापन महसूस नहीं करती। चूंकि किशोर कुमार नहीं चाहते थे कि उनकी पत्नी फिल्मों में काम करे, इसलिए शादी के बाद लीना ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया था। उनके पिता ने उनसे फिर शादी करने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने कहा कि अब वह किसी और को फ्रेम नहीं कर सकती, किसी को धोखा देना "rक बात नहीं है। इसके बावजूद लीना के अमित कुमार (किशोर के बेटे) के साथ 'संबंध' की अफवाहें खूब उड़ीं, खासकर इसलिए कि वह उन्हीं के साथ किशोर कुमार के बंगले में रहती हैं, जहां उनका बेटा सुमित, अमित की पत्नी, बेटी व मां (किशोर कुमार की पहली पत्नी) भी साथ रहते हैं। लीना का कहना है कि वह साथ इसलिए रहते हैं ताकि सुमित को अपने परिवार का साथ मिल जाये। अब लीना सुमित व अमित की मदद उनके संगीत में करती हैं, उनके लिए गीत लिखती हैं (दिल का मेरा हाल तुम न पूछो, धड़कता है अब तक यह दिल, क्या यह कम है पूछो) और कभी-कभी वह टेलीविजन पर भी दिखाई देती हैं।

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