Home » रविवारीय » दुनिया में नये सिरे से कायम हुई आम की बादशाहत...!

दुनिया में नये सिरे से कायम हुई आम की बादशाहत...!

👤 admin 4 | Updated on:22 May 2017 6:00 PM GMT

दुनिया में नये सिरे से कायम हुई  आम की बादशाहत...!

Share Post

राजकुमार 'दिनकर'

भारतीय आम फलों का राजा है इसलिए इसकी बादशाहत पर न तो किसी को शक है और न ही आश्चर्य। 'रायर' ने 17वीं शताब्दी में कहा था कि आम, आडू और खूबानी से कहीं ज्यादा रुचिकर है तो हैमिल्टन ने अ"ारहवीं शताब्दी में कहा था कि गोवा के आम संसार में फलों के राजा हैं। लेकिन आम के इस तरह बेताज बादशाह होने के बाद भी एक सच्चाई यह भी है कि दुनिया के ग्लोबल विलेज में तब्दील होने के बाद यह बादशाहत आसान नहीं रही। इस लिहाज से वाकई यह खास है। इस साल देश के एक फ्रमुख आम उत्पादक राज्य उत्तर फ्रदेश के पूर्वांचल हिस्से में भले आम की फसल कमजोर हो, लेकिन इस साल आम करीब 176 देशों को निर्यात हो रहा है या इतने देशों में इस साल आम पंहुच रहा है जो दुनिया के किसी भी फल के लिए एक रिकार्ड है। इस तथ्य के कारण भी आम अब फलों का राजा वास्तविक रूप से हो गया है।

वास्तव में आम अकेला वह फल है,जिसकी मुरीद पूरी दुनिया है। क्या उत्तरी गोलार्ध क्या दक्षिणी गोलार्ध हो। क्या विकसित देश, क्या विकासशील देश। लेकिन आम की जड़ें विशुद्ध भारतीय हैं। अंग्रेजी में आम का नाम मैंगो मलयालम से पड़ा है। मलयालम में आम को मंगा कहा जाता है। गौरतलब है कि वास्कोडिगामा सबसे पहले वर्ष 1498 में केरल के मालाबार तट पर ही पहुंचा था। यहीं पर उसका और उसके जरिये यूरोपीय दुनिया का आम से परिचय हुआ था। इसके बाद ही यूरोप के एक बड़े हिस्से तक आम पहुंचा और मलयाली मंगा, मैंगो बन गया। हालांकि पिछले कुछ साल आम की बाजारी ख्याति के लिए काफी खराब थे, जब यूरोपीय संघ ने अपने यहां भारतीय आमों पर फ्रतिबंध लगा दिया था। इस साल की शुरुआत में यह फ्रतिबंध हटा लिया गया है, इससे इस साल पिछले साल के मुकाबले करीब 18 देशों में ज्यादा आम पंहुच रहा है।

ऐसा नहीं है कि दुनिया में आम सिर्फ भारत में ही होता है। लेकिन आम फल कि जो लज्जत है, जिस कारण आम फलों की दुनिया का सिरमौर बना है,उस गुणवत्ता वाला आम सिर्फ भारत में पाया जाता है। इसीलिये दुनिया के बाजार में ब्राजील या दक्षिण अफ्रीका के आम भारतीय आमों के सामने फीके साबित होते है। अमेरिका में जो छिले और कटे हुए आम बिकते हैं वो मैक्सिकन आम होते हैं। लेकिन जो जनरल स्टोर से बड़ी नजाकत से खरीदकर घर लाये जाते हैं, वे भारतीय आम होते हैं। हालांकि यह भी सही है कि कोई आम चाहे मैक्सिको का हो या हैती का उसकी जड़ें तो भारत में ही हैं। इन तमाम देशों तक आम भारत से ही पंहुचा है। लेकिन व्यावसायिक जरूरतों और फायदों के मद्देनजर इन देशों में आम की नस्ल के साथ इतनी छेड़छाड़ हुई है कि अब इनमें उस ओरिजनल आम का स्वाद ही नहीं बचा जो भारतीय आमों में है। इसलिए भारतीय आमों की पूरी दुनिया में कीमत है।

भारत में पूरे विश्व की कुल पैदावार का तकरीबन 50 से 52 प्रतिशत आम पैदा होता है। लेकिन बीते सालों में कई मौकों पर अमेरिका से लेकर यूरोप और ऑस्ट्रेलिया तक ने भारतीय आमों पर अपने यहां फ्रतिबंध लगा लगा दिया था। तब इन देशों का कहना था कि भारतीय आमों पर कीटनाशकों का छिड़काव बहुत ज्यादा होता है। लेकिन आज भारत के आम उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है कि अब फिर सभी देशों में भारतीय आम की धाक जम गयी है खासकर इसी साल 2017 से। दुनिया में भारत को महात्मा गांधी,साधुओं और हाथियों के साथ-साथ आम से भी जाना जाता है। आम भारत का राष्ट्रीय फल है।हालाँकि आम का उत्पादन पाकिस्तान, बंग्लादेश, नेपाल, अमरीका, फिलीपीन्स, सयुक्त अरब, अमीरात, दक्षिण अफ्रीका, जाबिया, माले, ब्राजील, पेरू, केन्या, जमैका, तंजानिया, मेडागास्कर, हेती, आइवरी, कोस्ट, थाईलैंड, इण्डोनेशिया, श्रीलंका, सहित और कई देशों में होता है। लेकिन इन सब देशों के आमों में वो बात नहीं है जो हमारे आम में होती है।

जहां तक देश में आम उगाने वाले फ्रांतों का सवाल है तो सबसे ज्यादा आम की खेती उत्तर फ्रदेश में होती है। लेकिन उत्पादन सबसे ज्यादा आन्ध्रफ्रदेश में होता है। आम एक ऐसा फल है जो अपनी हर अवस्था में खाया जाता है। आम की दुनिया में कोई 1200 किस्में या फ्रजातियां पायी जाती है। जिसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा फ्रजातियां भारत में ही पायी जाती हैं। आम को अगर फलों के राजा होने का मान मिला है तो यूं ही नहीं मिला। आम एक ऐसा फल है जो शायद ही किसी को नापसंद हो। वेदों में आम को विलास का फ्रतीक कहा गया है, तो इसका कारण इसका अद्भुत स्वाद है। आम पर हजारों कवितायें लिखी गयी हैं। हजारो कलाकारों ने अलग-अलग ढंग से आम को अपने कैनवास पर उतारा है। देश में आम को लेकर लाखों लोकगीत-लोक कहानियां मौजूद हैं। हिन्दुओं का शायद ही कोई धार्मिक संस्कार हो जिसमें आम की उपस्थिति न हो। शादी-ब्याह, हवन, यज्ञ, पूजा, कथा, त्योहार तथा सभी मंगलकार्यों में आम की लकड़ी, पत्ती, फूल, फल या कोई न कोई हिस्सा इस्तेमाल ही होता है।

आम के कच्चे फल से चटनी, खटाई, अचार, मुरब्बा आदि बनाये जाते हैं तो वहीं पके आमों से आम्र रस के साथ साथ आम का जूस व दर्जनों दूसरे उत्पाद बनाये जाते हैं। इन सबके साथ ही पके आम खाना सबसे सुखदायक तो है ही। आम पाचक, रेचक और बलफ्रद होता है। पके आम के गूदे को तरह-तरह से सुरक्षित करके भी रखते हैं। देश में हर साल कोई सवा से डेढ़ करोड़ टन आम पैदा होता है जो कि दुनिया के कुल उत्पादन का 52 फ्रतिशत है। भारतीय फ्रायद्वीप में आम की कृषि हजारों वर्षों से हो रही है। ईसा पूर्व चौथी या पांचवीं सदी में यह पूर्वी एशिया पहुंचा। जबकि पूर्वी अफ्रीका दसवीं शताब्दी के बाद पहुंचा। आम की फ्रजातियों का निर्धारण मूलतः उनकी अपनी एक विशिष्ट महक और स्वाद से तय होती है। फ्रजातियों के हिसाब से हापुस या अलफांसो देश का सबसे सुंदर और स्वादिष्ट आम है। इसकी विदेशों में बहुत मांग है इस कारण भी यह बहुत महंगा होता है। मार्च में आ जाने वाला हापुस शुरू में 500 से 700 रूपये दर्जन तक बिकता है। इसके अलावा देश की और कई मशहूर आम फ्रजातियों में से नीलम बादाम तोतापरी लंगड़ा सिंदूरी दशहरी रत्नागिरी केसरिया लालपत्ता आदि हैं।

बाजार में आम आमतौर पर पक्का और कच्चा यानी दोनों ही अवस्था में मिलता है। आम के विशिष्ट औषधीय उपयोग भी हैं। कच्चा आम यानी अमिया या कैरी सदैव खट्टी होती है जबकि पके आम मी"s या खट्टेमी"s होते हैं। पका आम रासायनिक तत्वों से परिपूर्ण होता है। इसमें विटामिन, फ्रोटीन, वसा खनिज लवण आदि फ्रमुखता से पाये जाते हैं। खनिजों में कैल्शियम, फासफोरस, सोडियम, पोटैशियम, कापर, गंधक, मैगनीशियम, क्लोरीन तथा नियमिन फ्रमुख हैं। विटामिनों में विटामिन एबीसी एवं डी फ्रमुख हैं।

बॉक्स

आमों में खास आम

हापुस

अंग्रेजी में दुनिया जिस आम को अलफांसो के नाम से जानती है, मरा"ाr में उसे हापुस और गुजराती में हाफुस तथा कन्नड़ में आपूस कहते हैं। आम की यह विश्व फ्रसिद्ध नस्ल आमतौर पर इन्हीं तीन फ्रांतों में होती है। हापुस अपनी मि"ास और सुगंध के लिए विख्यात है। आम की शायद इसी नस्ल के चलते इसे राजा की उपाधि मिली। हापुस को आम की सबसे अच्छी किस्म समझा जाता है। वास्तव में इसका यह नाम यूरोपीय भाषाओं में इसको सम्मान देने के लिए 'अफोंसो दि अल्बूकर्क' (पुर्तगाली) रखा गया है।

पकने के बाद इस आम को लगभग एक सप्ताह तक रखा जा सकता है। इसका यही गुण इसको निर्यात के लिए सुगम बनाता है। कीमत के मामले में यह भारत का सबसे महंगा आम है। इसे मुख्यतः पश्चिम भारत में ही उगाया जाता है।इसका मौसम मार्च से मई के मध्य होता है। आमतौर पर फ्रत्येक हापुस फ्रजाति के आम का वजन 150 ग्राम से 300 ग्राम के मध्य होता है। इन आमों की सबसे बेहतरीन किस्म महाराष्ट्र के कोंकण इलाके में स्थित सिंधुदुर्ग जिले की तहसील देवगढ़ में उगायी जाती है। यह भी कहा जाता है कि यहां भी सबसे अच्छे आम सागर तट से 20 किलोमीटर अंदर की ओर स्थित जमीन पर ही उगते हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र के रत्नागिरि, गुजरात के दक्षिणी जिले वलसाड और नवसारी में भी हापुस की पैदावार होती है।

Share it
Top