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ईमानदार अफसर कहां से लाएंगे

👤 admin5 | Updated on:21 April 2017 3:41 PM GMT
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श्याम कुमार

लम्बे चुनावी दौर के कारण काफी समय से मेरा सचिवालय-भवनों में जाना नहीं हो पाया था। इस बीच सत्ता का पूरा माहौल बदल गया। लुटेरी सत्ता का अंत हुआ और उसकी जगह ऐसी जनहितकारी सत्ता का आगमन हो गया, जिसकी कभी कल्पना नहीं हो सकती थी। सत्तर साल देश में सिर्फ `हाय मुसलमान, हाय मुसलमान', `देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है', `हिन्दू आतंकवाद', `15 मिनट के लिए पुलिस हटा लो, फिर देखो बीस पतिशत लोग अस्सी पतिशत लोगों का कैसे सफाया कर देते हैं?' आदि वाक्य सुनते-सुनते कान पक गए थे। हिन्दू को दूसरे दर्जे का उपेक्षित नागरिक मान लिया गया था तथा `हिन्दू' शब्द साम्पदायिकता माना जाने लगा था। ईमानदार लोग उपेक्षा एवं पताड़ना के शिकार थे तथा भ्रष्ट, माफिया, घोटालेबाज, गुण्डे, अपराधी सत्ता का संरक्षण पाकर हर तरह से मौज कर रहे थे। ऐसे में तीन साल पहले केंद में मोदी सरकार आई तो जैसे ईश्वरीय चमत्कार हो गया। लेकिन ईश्वर एक और चमत्कार कर उत्तर पदेश का भी उद्धार करना चाहता था। इसी से चुनाव के आश्चर्यजनक परिणाम निकले तथा यहां भी विपुल बहुमत से राष्ट्रवादी सरकार सत्तासीन हुई। नरेंद मोदी की भांति योगी आदित्यनाथ के रूप में उत्तर पदेश को भी ईमानदार, वीतरागी एवं जनहित की भावना से ओतपोत राष्ट्रवादी नेतृत्व मिल गया। `बिन मांगे मोती मिले' वाला मुहावरा साकार हो उ"ा।

वैसे तो हमारे देश की समस्त बुराइयों की जननी कांग्रेस एवं नेहरू वंश है, किन्तु उत्तर पदेश में उन बुराइयों को अतिविस्तार समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी के शासनकाल में मिला। सपा ने सत्ता में आने पर भ्रष्टाचार के नए-नए रास्ते खोले तो बसपा ने सत्ता में आने पर उन रास्तों को `राजमार्ग' बना दिया। फिर सपा सत्ता में आई तो उसने उन `राजमार्गें' को अनेक लेनों वाली चौड़ाई दे दी। उसके बाद बारी-बारी से बसपा एवं सपा सत्ता में आईं तो उन लेनों की संख्या असंख्य हो गई। ऐसा लगने लगा कि अब जो भी पार्टी सत्ता में आएगी, वह भ्रष्टाचार का और भी अधिक कीर्तिमान बनाएगी। भ्रष्टाचार व घोटालों के जिस दानव ने हमारे समाज को बुरी तरह अपने शिकंजे में जकड़ लिया था, उससे छुटकारा पाना असम्भव लगने लगा था। केंद की भांति उत्तर पदेश में भी सरकारों ने गला घोंटकर ईमानदारी और राष्ट्रवाद का अंत कर दिया था। केंद में नरेंद मोदी ने तथा उत्तर पदेश में योगी आदित्यनाथ ने सत्तारूढ़ होकर ईमानदारी एवं राष्ट्रवाद को पुनर्जीवित कर दिया है। भ्रष्ट छवि वाले अफसरों को हटाकर ईमानदार छवि वाले अफसरों को आगे लाया जा रहा है।

आम चर्चा है कि ईमानदार अफसर अब रह कहां गए हैं? विगत दशकों में कांग्रेस, सपा व बसपा के दीर्घकालीन महाभ्रष्ट राज में जो ईमानदार अफसर थे, वे भी न चाहते हुए भी भ्रष्ट होने को मजबूर कर दिए गए तथा उनमें तो कई ऐसे निकले, जिन्होंने भ्रष्टाचार व घोटालों के कीर्तिमान स्थापित कर दिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सफाई करने में लगे हैं, लेकिन जहां `हर शाख पर उल्लू बै" चुका हो', वहां सफाई कर पाना बेहद क"िन है। मैंने जिन सचिवालय-भवनों का चक्कर लगाया, मुझे देखकर आश्चर्य हुआ कि ईमानदार अफसरों की संख्या अब नगण्य रह गई है। हो सकता है कि जो अफसर मजबूरन बेईमान हो गए हों, वे शुद्ध वातावरण में पुनः ईमानदारी की राह पकड़ लें। लेकिन `शेर के मुंह में खून लग जाय' वाला मुहावरा भी तो है। जिन महाभ्रष्ट अफसरों ने घोटालों में कीर्तिमान स्थापित किए, उन्हें सिर्फ पतीक्षा-सूची में डालना पर्याप्त नहीं। उनकी सारी सम्पत्ति जब्त कर जेल भेजा जाना चाहिए, ताकि अन्य नौकरशाहों को सबक मिल सके। चपरासी व बाबू से लेकर बड़े-बड़े नौकरशाहों ने जो अथाह अवैध सम्पत्ति जमा कर रखी है, उसे जब्त कर लिया जाय तो सरकार को जनकल्याणकारी योजनाएं लागू करने के लिए `कारूं का खजाना' मिल सकता है। किन्तु यह काम आसान नहीं है।

एक बात और है। केवल ईमानदार होना पर्याप्त नहीं है। ईमानदारी के साथ योग्यता एवं व्यावहारिकता भी होनी चाहिए, तभी जनता का भला होता है। कई ऐसे अफसर हुए, जो बेहद ईमानदार थे, किन्तु व्यावहारिक नहीं थे। वे हर समय नियमों के जाल में उलझे रहते थे, जिससे जनता का भला करने के बजाय वे उसके लिए और अधिक यातना देने वाले सिद्ध होते थे। एक आईएएस अधिकारी सुभाष कुमार हुए हैं
, जो इलाहाबाद में अतिलोकपिय जिलाधिकारी एवं मण्डलायुक्त थे। बाद में वह उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव होकर रिटायर हुए। वह अत्यंत ईमानदार थे, किन्तु व्यावहारिक भी थे, इसलिए उन्होंने हमेशा अधिक से अधिक जनकल्याण किया और उन्हें भारी लोकपियता मिली। उनसे मेरी घनिष्"ता थी। मैंने एक बार उनसे उनकी लोकपियता का राज पूछ लिया था। उत्तर में उन्होंने बताया था कि वह हर काम पूरी ईमानदारी एवं नियमानुसार करते हैं
, लेकिन तमाम ऐसे अवसर होते हैं, जिनमें उनके पास यह विकल्प होता है कि वह सरकार के पक्ष में निर्णय करें या जनता के पक्ष में। चूंकि सरकार जनता के लिए ही होती है, इसलिए वह सरकार के बजाय जनता के पक्ष में निर्णय करते हैं। केंद में उत्तर पदेश संवर्ग के राजीव कुमार आदि कुछ ऐसे गुण वाले अधिकारी हैं, लेकिन केंद में भी तो अच्छे अफसरों की जरूरत है। योगी आदित्यनाथ को चाहिए कि वे अपने मिशन में उन अफसरों का उपयोग करें
, जो अवकाशग्रहण कर चुके हैं। उनमें शीर्षस्थ नाम है बलविंदर कुमार का, जो उत्तर पदेश की राजनीतिक दुर्दशा से ऊबकर केंद में चले गए थे तथा वहां से हाल में रिटायर हुए हैं। वर्तमान नए-पुराने आईएएस अफसरों में तमाम ऐसे हैं, जिनके मुंह में सपा व बसपा के राज में खून लग चुका है तथा उनसे योगी के मिशन को चूना लगने का खतरा हो सकता है। आईएएस संवर्ग में ही नहीं, अन्य संवर्गें में भी अवकाशग्रहण कर चुके योग्य, ईमानदार एवं व्यावहारिक शैली वाले अफसरों को पुनः सेवा में लेकर उनका भरपूर उपयोग किया जाना चाहिए।

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