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पुलिस का रवैया बदलना जरूरी

👤 admin5 | Updated on:16 May 2017 3:33 PM GMT
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श्याम कुमार

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़े शब्दों में कहा है कि अपराध-नियंत्रण में किसी भी पकार की ढिलाई नहीं बर्दाश्त की जाएगी। उन्होंने इस बात पर असंतोष व्यक्त किया कि कानून-व्यवस्था में कोई भी समझौता नहीं करने की स्पष्ट हिदायत के बावजूद जातीय हिंसा, लूटपाट, हत्या आदि की घटनाएं थम नहीं रही हैं। उन्होंने पुनः स्पष्ट किया है कि अपराध को लेकर सरकार की नीति तनिक भी समझौता नहीं करने की है। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया कि आम पुलिसजनों के साथ पुलिस अधीक्षक एवं उनके ऊपर के वरिष्" अधिकारी भी रात में गश्त पर निकलें, साथ ही बुजुर्गों की सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की जाय। एक यह मुख्यमंत्री हैं, दूसरी ओर याद कीजिए पूर्व-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की। पत्रकारवार्ताओं में जब भी उनसे पत्रकार कानून-व्यवस्था का सवाल उ"ाते थे, वह तुरंत देश के विभिन्न राज्यों के आंकड़े देकर सिद्ध करने लगते थे कि अन्य राज्यों की तुलना में उत्तर पदेश की अपराध-स्थिति बहुत अच्छी है। आज वही अखिलेश यादव पदेश में पहले से कहीं अधिक बेहतर हो गई वर्तमान कानून-व्यवस्था की आलोचना कर रहे हैं। वह अपने ही आंकड़ों को अब भूल गए हैं।

वास्तविकता यह है कि पदेश में जब भी समाजवादी पार्टी की सरकार आती है, कानून-व्यवस्था की स्थिति भीषण रूप से खराब हो जाती है तथा अपराध चरम पर पहुंच जाते हैं। इसका मूल कारण यह माना जाता है कि समाजवादी पार्टी की छवि गुंडों की पार्टी वाली बन गई है। वैसे तो सभी पार्टियों का यह हाल है कि उनकी सरकार बनने पर उनके कार्यकर्ता उश्रृंखल होने लगते हैं। लेकिन समाजवादी पार्टी इसके लिए विशेष रूप से बदनाम है। उसमें बड़े नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक गुंडागर्दी एवं भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हो जाते हैं। मुश्किल यह होती है कि सपा के मुख्यमंत्री इस हकीकत को मानने से इंकार कर देते हैं। लोगों को याद है, जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने टीवी-चैनलों पर अमिताभ बच्चन से खूब पचारित कराया था कि उत्तर पदेश में अपराध देश के अन्य राज्यों की तुलना में बहुत कम है। इस समय एक बहुत बड़ी क"िनाई यह उत्पन्न है कि अन्य पार्टियों के तमाम असामाजिक तत्व भगवा दुपट्टा ओढ़कर अपने को भाजपाई बताते हुए गलत हरकतें करने की कोशिश करते हैं।

योगी आदित्यनाथ के पक्ष में सबसे महत्वपूर्ण सच्चाई यह है कि वह सच्चे अर्थों में संन्यासी हैं। उनका जीवन बहुत सादा एवं नीयत साफ है। उनमें कहीं भी कृत्रिमता नहीं है।

वह शुरू से आम जनता के बीच रहे हैं, इसलिए मुख्यमंत्री बन जाने पर भी जनभावना को आसानी से समझने की उनकी पवृत्ति कायम है। इस समय जनता महसूस कर रही है कि पदेश में अपराध-स्थिति संतोषजनक रूप में नहीं सुधर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी आदत के अनुसार इस जनभावना को समझा है और इसीलिए स्थिति में सुधार हेतु उन्होंने पुलिस विभाग को कड़ाई से निर्दिष्ट किया है। उनकी चेतावनी दिखावटी नहीं है, बल्कि वह जनभावना का सम्मान करते हुए जनहित में हर निर्णय क"ाsरतापूर्वक लागू करने के लिए कृतसंकल्प हैं। वह सभी विभागों को सुधरने का मौका दे रहे हैं और यदि ऐसा न हुआ तो उन्हें `भाला' चलाने में संकोच नहीं होगा।

आजादी के बाद उत्तर पदेश में पुलिस विभाग के मुखिया के रूप में एक से एक ईमानदार एवं एक से एक बेइमान अधिकारी तैनात हुए। एक समय था, जब पूरे पदेश के मुखिया के रूप में अकेला पुलिस महानिरीक्षक का पद होता था। अब तो पुलिस महानिदेशकों, पुलिस महानिरीक्षकों, पुलिस उपमहानिरीक्षकों आदि की भरमार है।

इसके बावजूद पदेश की कानून-व्यवस्था की स्थिति संतोषजनक नहीं हो पा रही है, यह चिंता की बात है। यह भी विचारणीय है कि ईमानदार अधिकारियों की तैनाती होने पर भी माहौल क्यों नहीं सुधरता है? इसका पहला पमुख कारण राजनीतिक हस्तक्षेप है तथा दूसरा पमुख कारण पुलिस के काम करने का पुराना ढर्रा है। राजनीतिक हस्तक्षेप ने पुलिस विभाग का ही नहीं, सारे विभागों का बंटाधार कर दिया है। इसी राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण ही भ्रष्टाचार खूब पनपा है। पुलिस के सामने समस्या होती है कि वह असामाजिक तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई कैसे करे? विगत दशकों में यह चलन हो गया है कि बात-बात में नेता पुलिस को उसकी वरदी उतरवा देने की धमकी देता है। इसी का दुष्परिणाम जिलों में यह हुआ है कि वहां पुलिस गलत तत्वों के विरुद्ध कार्रवाई करने का खतरा ही नहीं मोल लेती। मुजफ्फरनगर में साधारण सी घटना को आजम खां ने अपने सांप्रदायिक हस्तक्षेप से भीषण रूप दे दिया था। इसी से जिलों में तैनात सिविल एवं पुलिस अफसरों ने धीरे-धीरे यह फार्मूला अपना लिया कि सत्ताधारी दल के नेताओं को हर पकार से `खुश' किए रहो तथा विपक्ष के पमुख नेताओं को भी पटाए रहो। उसके बाद आम जनता जितना चाहे चिल्लाए, कोई अंतर नहीं पड़ता। लेकिन जिस पकार केंद्र में मोदी के पधानमंत्री बनने से माहौल परिवर्तित हुआ है, वैसे ही उत्तर पदेश में योगी के मुख्यमंत्री बनने से पदेश की जनता में सुधार की बहुत बड़ी उम्मीद जागी है। मुख्यमंत्री योगी पशासन में राजनीतिक हस्तक्षेप को रोक रहे हैं। इससे पुलिस-पशासन चुस्त तो होगा ही, भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी।

पुलिस के विफल होने का दूसरा जो पमुख कारण है, वह उसका काम करने का पुराना रवैया है। दरोगा जो बात कह देता है, ऊपर तक आंख मूंदकर उसी के बयान का अनुमोदन कर दिया जाता है। पायः निचले स्तर पर भ्रष्टाचार के कारण मामले को गलत रूप दे दिया जाता है। बेगुनाह फंस जाता है तथा गुंडा तत्व मौज करते हैं। अपराध का जो
वास्तविक रूप होता है, उसे बिल्कुल भिन्न रूप दे दिया जाता है। शिकायतकर्ता को झू"ा बता दिया जाता है।
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