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स्ट्रैटेजिक विनिवेश कीजिए

👤 admin5 | Updated on:22 May 2017 4:43 PM GMT
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डॉ. भरत झुनझुनवाला

एनडीए सरकार ने केंद्रीय सार्वजनिक ईकाइयों के विनिवेश में तेजी हासिल की है। बीते तीन वर्षों में सरकार ने 29 हजार करोड़ प्रति वर्ष की रकम इन ईकाइयों के शेयरों की बिक्री करके हासिल की है। यूपीए सरकार ने इसके पूर्व के तीन वर्षों में केवल 19 हजार करोड़ प्रति वर्ष की रकम हासिल की थी।

इन बिक्री में समानता यह थी कि ईकाइयों पर नियंत्रण सरकार का रहा था। एनडीए-1 सरकार की नीति इससे भिन्न थी। तब सार्वजनिक ईकाइयों का स्ट्रैटेजिक विनिवेश किया गया था और इनके मैनेजमेंट को केता उद्यमी को हस्तांरित कर दिया गया था। एनडीए-2 सरकार द्वारा किए जा रहे विनिवेश में ईकाई के केवल 49 प्रतिशत शेयर बाजार में बेचे जा रहे हैं और 51 प्रतिशत शेयर सरकार के हाथ में बने रहते हैं। कंपनी की मीटिंग में सरकार का बहुमत बना रहता है। सरकार ही कंपनी के मुख्याधिकारी की नियुक्ति करती है। कंपनी के बोर्ड में वित्त मंत्रालय का अधिकार बैठता है जिसके पास व्यवहारिक वीटो होता है। विनिवेश से पूर्व तथा विनिवेश के बाद ईकाई का नियंत्रण केंद्र सरकार के सचिव के हाथ में बना रहता है।

इसके विपरीत स्टैटेजिक विनिवेश में सरकार द्वारा 51 प्रतिशत शेयर किसी एक केता को बिक्री किए जाते हैं और कंपनी पर खरीददार का पूर्ण नियंत्रण स्थापित हो जाता है जैसा कि बाल्को, बीएसएनएल एवं मारुति के विनिवेश में हुआ था।

सरकार के पास 100 प्रतिशत शेयर बने रहे की तुलना में ऐसा विनिवेश उत्तम है। सरकार के पास कंपनी के 100 प्रतिशत शेयर हों तो कंपनी के कार्यों पर निवेशकों की नजर नहीं जाती है। 49 प्रतिशत शेयर निवेशकों को बेच दिए जाएं तो निवेशकों की कंपनी पर नजर रहती है। कंपनी के मुख्याधिकारी द्वारा गड़बड़ी करने पर कंपनी को घाटा लगता है और कंपनी के शेयर बाजार में लुढ़क जाते हैं। इस प्रकार सार्वजनिक ईकाइयों पर सरकारी नियंत्रण के तीन स्तर होते हैं। सरकार के पास 100 प्रतिशत शेयर रहे तो जनता की नजर से बाहर सरकार का एकाधिकार रहता है। 49 प्रतिशत शेयर बेचे जाएं तो सरकारी नियंत्रण बना रहता है। यद्यपि कंपनी पर निवेशकों की नजर स्थापित हो जाती है। 51 प्रतिशत या अधिक शेयर बेचे जाएं तो कंपनी पर सरकारी नियंत्रण समाप्त हो जाता है और स्ट्रैटेजिक खरीददार का नियंत्रण स्थापित हो जाता है। यूपीए तथा एनडीए-2 की सरकार की पॉलिसी 49 प्रतिशत स्ट्रैटेजिक विनिवेश की रही है जबकि एनडीए-1 सरकार की नीति ईकाइयों के स्ट्रैटेजिक विनिवेश की थी।

सामान्य एवं स्ट्रैटेजिक विनिवेश के बीच चयन करने के लिए सार्वजनिक ईकाइयों की भूमिका पर विचार करना होगा। इन ईकाइयों को इसलिए स्थापित किया गया था कि उस समय देश में बड़े उद्योग लगाने के लिए पूंजी नहीं थी तथा रिस्क लेने की क्षमता नहीं थी। ऐसी स्थिति में भारत सरकार ने हिन्दुस्तान मशीन टूल्स एवं भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स जैसी ईकाइयों से देश में नए हाइटेक माल का उत्पादन प्रारंभ किया था। आज देश में उद्यमियों में इस प्रकार के बड़े उद्योग लगाने की क्षमता पैदा हो गई है इसलिए वर्तमान सार्वजनिक ईकाइयों का स्ट्रैटेजिक विनिवेश कर दिया जाए तो ज्यादा उत्तम है। तब इन कंपनियों को निजी उद्यमी बाजार की चाल के अनुसार चलाएंगे। घाटे में चल रही तमाम सार्वजनिक ईकाइयों का स्ट्रैटेजिक विनिवेश कर दिया जाए तो जनता की गाढ़ी कमाई का दुरुपयोग इन ईकाइयों के घाटे पूरा करने में महीं होगा।

सार्वजनिक को स्थापित करने का दूसरा उद्देश्य निजी उद्यमियों द्वारा मुनाफाखोरी को रोकना एवं सरकार की नीतियों को लागू करना था। जैसे निजी कोयला कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया जिससे मुनाफाखोरी बंद हो। निजी बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया जिससे बैंकों का चाल सरकार की पॉलिसियों को लागू करने की बने। वर्तमान समय में इन उद्देश्यों को हासिल करने के लिए ईकाइयों पर सरकारी एकाधिकार जरूरी नहीं है। अब देश में स्वतंत्र नियांमकों की संस्कृति स्थापित हो गई है। जैसे दूरसंचार क्षेत्र के नियांमक ने निजी टेलीफोन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा स्थापित करके मोबाइल फोन कॉल के दाम वैश्विक न्यून स्तर पर लाने में सफलता हासिल की है। इस प्रकार सार्वजनिक ईकाइयों पर सरकारी नियंत्रण बनाए रखने के दोनों कारण समाप्त हो चुके हैं और मेरे आंकलन में इनका स्ट्रैटेजिक विनिवेश करना चाहिए। स्ट्रैटेजिक विनिवेश के कई अतिरिक्त लाभ होंगे।

पहला अतिरिक्त लाभ होगा कि ये सार्वजनिक ईकाइयां पूरी तरह बाजार के दायरे में आ जाएंगी और इनके कार्यों में सुधार होगा। दूसरा लाभ यह कि नेताओं और केंद्र सरकार के सचिवों का इन पर नियंत्रण समाप्त होने से भ्रष्टाचार कम होगा। तीसरा लाभ यह कि सरकार को भारी मात्रा में अतिरिक्त राजस्व मिलेगा। कंपनी के मैनेजमेंट को प्राप्त करने को केता अतिरिक्त रकम देने को स्वीकार करेगा। चौथा लाभ यह कि घाटे में चल रही सार्वजनिक ईकाइयों के घाटे की भरपायी करने से जनता को मुक्ति मिल जाएगी।

स्ट्रैटेजिक विनिवेश का पांचवां और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण लाभ होगा कि नए उभरते क्षेत्रों में नई सार्वजनिक ईकाइयां स्थापित करने को सरकार को रकम मिल जाएगी। जैसा ऊपर बताया गया है कि सार्वजनिक ईकाइयों के स्थापित करने का प्रमुख कारण था कि निजी उद्यमियों के पास रिस्क लेने की क्षमता नहीं थी।

ऐसे तमाम क्षेत्र आज भी हमारे सामने उपस्थित हैं। जैसे अंतरिक्ष में उपग्रह को स्थापित करने को एक अलग ईकाई स्थापित की जा सकती है। वर्तमान में इसरो द्वारा सेवा एवं वाणिज्यिक दोनों गतिविधियां की जाती हैं इसलिए इस क्षेत्र में वाणिज्यिक कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं जाता है।

दूसरे, यूरोप में एयरबस एयरप्लेन का निर्माण सरकारी कंपनी द्वारा किया जाता है। हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता के एयरप्लेन बनाने की ईकाई स्थापित की जा सकती है। तीसरे, विकसित देशों में स्वास्थ्य एवं शिक्षा सेवाएं बहुत महंगी हैं। भारतीय प्रोफेसरों एवं डाक्टरों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर की उत्तम सेवाएं एवं शिक्षा भारत में उपलब्ध कराई जा रही है। इन सेवाओं को वैश्विक स्तर पर बेचने को ईकाई स्थापित करनी चाहिए। रशिया टुडे के समानांतर अंतर्राष्ट्रीय स्तर का न्यूज चैनल बनाना चाहिए।

पांचवें, बायोटेक्नोलॉजी एवं मानव जिनोम की मैपिंग में तमाम संभावनाएं हैं जैसे अपराधियों को चिन्हित करने की। इस कार्य की ईकाई स्थापित करनी चाहिए। छठे, विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के सामने विकसित देशों की पैरवी करने को वैश्विक स्तर की कानूनी सलाहकारी कंपनी बनाई जा सकती है। सरकार को चाहिए कि सामान्य विनिवेश के स्थान पर स्ट्रैटेजिक विनिवेश करके इन नए क्षेत्रों में नई सार्वजनिक ईकाइयां स्थापित करें।

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