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सरकार के तीन वर्षों के कार्यकाल में एमएसएमई सेक्टर

👤 admin5 | Updated on:24 May 2017 3:52 PM GMT
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बसंत कुमार

इंटरनेशनल मानेटरी फंड ने अभी हाल में विश्व की पांच शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के विषय में अपनी रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 तक भारत दुनिया की चौथी शीर्ष अर्थव्यवस्था बन सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत 9.9 प्रतिशत ग्रोथ रेट के साथ जर्मनी से भी आगे निकल सकता है। यदि विश्व के अन्य विकसित देशों जर्मन जापान आदि की विकास प्रक्रिया पर जोर डालें तो यह बात सामने आती है कि इन देशों के आर्थिक विकास में एमएसएमई सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश में एमएसएमई सेक्टर ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विजन और देश के सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम मंत्री पं. कलराज मिश्र के मार्गदर्शन में एमएसएमई सेक्टर ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। इसका मुख्य श्रेय प्रधानमंत्री जी की निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मेक इन इंडिया की पहल को जाता है। विगत तीन वर्षों में एमएसएमई सेक्टर ने देश की अर्थव्यवस्था में अनूठा योगदान किया है। मंत्रालय द्वारा उद्यमिता के विकास के लिए निम्न पहलें की गईंö

उद्योग आधार ज्ञापनöव्यवसाय शुरू करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से एमएसएमई मंत्रालय ने 18.9.2015 को उद्योग आधार ज्ञापन प्रारंभ किया। इसका मुख्य उद्देश्य उद्यमियों को स्वप्रमाणन के आधार पर एक पृष्ठ का सरल फार्म ऑनलाइन दाखिल कर उनके उद्योग पंजीकरण को आसान बनाता है। उद्योग आधार की ऑनलाइन फार्मिंग न सिर्प निशुल्क है बल्कि इसके लिए किसी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होती। अब तक इसमें सात लाख से अधिक उद्यमियों ने पंजीकरण कराया।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के पुनर्वास और पुनर्जावन की रूपरेखा एवं शिकायतों की निगरानीöसूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय ने एमएसएमई पुनर्वास और पुनर्जावन की एक रूपरेखा तैयार कर 29 मई 2015 को भारत सरकार के राजपत्र में अभिसूचित किया गया। इस संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने 17 मार्च 2016 को बैंकों को आवश्यक दिशानिर्देश भी जारी किए। इस दिशानिर्देश के अंतर्गत बैंकों को सुधारात्मक कार्ययोजना के जरिये जून 2016 तक एमएसएमई सेक्टर के पुनर्वास और पुरुजीवन का एक ढांचा तैयार करने का आदेश दिया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सिक पड़ी या बंद पड़ी सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ईकाइयों को पुनर्जीवित करना है। मंत्रालय ने केंद्रीय सार्वजनिक शिकायत निवारण एवं निगरानी (सीपीजीआरएएमएस) पर प्राप्त सभी शिकायतों का त्वरित निपटारा करता है। इसके अतिरिक्त सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमियों एवं जनता से प्राप्त शिकायतों के निपटारे हेतु सुझावों की टैकिंग तथा निगरानी के लिए एमएसएमई इंटरनेट शिकायत निगरानी प्रणाली प्रारंभ की है।

प्रौद्योगिकी केंद्र प्रणाली कार्यक्रमöमंत्रालय ने विश्व बैंक की सहायता से 15 नए प्रौद्योगिकी केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया। भारत सरकार तथा विश्व बैंक के बीच ऋण समझौते पर 10.11.2014 को हस्ताक्षर किए गए। यह ऋण 19.12.2015 से प्रभावी हो चुका है और इस ऋण से नए प्रौद्योगिक केंद्र स्थापित करने के लिए 10 राज्यों में स्थान की पहचान कर ली गई है तथा 10 स्थानों पर कुल 160 एकड़ भूमि कब्जे में ली जा चुकी है। भिवाड़ी (राजस्थान), बद्दी (हिमाचल प्रदेश) तथा इंफाल (मणिपुर) सहित कई स्थानों पर शिलान्यास भी किया जा चुका है। शीघ्र ही ये प्रौद्योगिकी केंद्र काम करना प्रारंभ कर देंगे।

माई एमएसएमईöसरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उद्यमियों तक पहुंचाने के उद्देश्य से कार्यालय ने माई एमएसएमई नामक वेब आधारित एप्लीकेशन आरंभ किया है। इससे उद्यमी अपने मोबाइल फोन से ही आवेदन कर सकेंगे और ट्रैक भी कर सकेंगे।

बाजार संवर्द्धन व विकास सहायता (एमपीडीएविपणन विकास सहायता खादी क्षेत्र द्वारा विभिन्न योजनाओं का विलय कर एक एकीकृत योजना के रूप में प्रारंभ की गई है। इसमें प्रचार विपणन बाजार का संवर्द्धन तथा विपणन विकास सहायता शामिल हैं। जिससे सूक्ष्म व लघु उद्यमियों को अपना उत्पाद बेचने में कोई परेशानी न हो और उन्हें उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त हो सके। इसके अतिरिक्त खादी निर्माण के लिए सब्सिडी व अनुदान भी उपलब्ध होगा। इस योजना से कामगारों व मजदूरों की आय सुनिश्चित होगी।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्कीमöअंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों में सहभागिता के लिए वर्ष 2014-15 के दौरान 43 कार्यक्रमों और 603 उद्यमियों को लाभ पहुंचाते हुए 3.95 करोड़ रुपए और वर्ष 2015-16 के दौरान 55 कार्यक्रमों तथा 875 उद्यमियों को लाभ पहुंचाते हुए 3.6 करोड़ रुपए खर्च किए गए और इन कार्यक्रमों से 1,85,573 भागीदार लाभान्वित हुए।

सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए ऋण गारंटी स्कीम निधि ट्रस्ट (सीजीटीएसएमईइस स्कीम के माध्यम से वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान 2,12,74.82 करोड़ रुपए की गारंटी के साथ अनुमोदित किए गए जबकि इसके लिए 4,03,422 आवेदन प्राप्त हुए। इसी प्रकार वर्ष 2015-16 के दौरान 19949.39 करोड़ रुपए की गारंटी कवरेज के साथ 5,13,978 ऋण आवेदन अनुमोदित किए गए।

ऋण संबंध पूंजीगत सब्सिडी स्कीम (सीएलसीएसएसकेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम के अंतर्गत वर्ष 2014-15 के दौरान 448.85 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई जिसमें 7246 ईकाइयां लाभान्वित हुईं। वर्ष 2015-16 के दौरान 322.43 करोड़ रुपए खर्च हुए जिससे 5047 ईकाइयां लाभान्वित हुईं।

सूक्ष्म, लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसईसीडीपीक्लस्टर विकास कार्यक्रम के लिए वर्ष 2014-15 के दौरान 43 क्लस्टरों में 63.18 करोड़ रुपए तथा वर्ष 2015-16 के दौरान 81.36 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस खर्च से नैदानिक अध्ययन, सॉफ्ट इंटरवेंशनों तथा आधारभूत संरचना विकास जैसे विभिन्न कार्यक्रमों को अंजाम दिया गया।

विगत तीन वर्षों में कार्यान्वित की गई योजनाओं की उपलब्धियांö प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी) वर्ष 2014-15 में इस कार्यक्रम के अंतर्गत कुल 92,508 ईकाइयां स्थापित की गई जिससे 6,80,864 व्यक्तियों को रोजगार उपलब्ध हुआ। इस योजना पर कुल बजट 2142.59 करोड़ रुपए का रहा।

परंपरागत उद्योगों के उन्नयन एवं पुनर्सृजन के लिए निधि (स्फूर्तियह स्कीम प्रथम चरण में 44,500 कारीगरों के कवरेज के साथ 71 क्लस्टर विकसित करने के लिए 149.44 करोड़ रुपए के परिव्यय से वर्ष 2014 में पुनरुद्धारित की गई। वर्ष 2015-16 के दौरान 71 नैदानिक अध्ययन रिपोर्ट एवं क्लस्टरों की विस्तृत रिपोर्ट की निधि के साथ 30,438 कारीगरों को रोजगार उपलब्ध कराते हुए अनुमोदित की गई।

विकेता विकास कार्यक्रम (बीडीपी) एवं बाजार विकास सहायता (एमडीएविगत तीन वर्षों में इन दोनों कार्यक्रमों में 16 करोड़ 56 लाख रुपए खर्च किए गए। जहां बीडीपी के तहत देश के विभिन्न भागों से आयोजित प्रदर्शनियों में कुल 37138 ईकाइयों ने भाग लिया वहीं बाजार विकास कार्यक्रम में 580 ईकाइयां लाभान्वित हुईं। इन कार्यक्रमों से सूक्ष्म एवं लघु उद्यम ईकाइयों को अपना उत्पाद बेचने के लिए सही प्लेटफार्म मिले।

केयर क्षेत्रöकेयर क्षेत्र में विगत तीन वर्षों में केयर उत्पादन 10,000 मीट्रिक टन से अधिक बढ़ गया है। इस अवधि में कुल उत्पादन लगभग 5,40,000 मीट्रिक टन से अधिक हो गया है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में केयर एवं केयर उत्पादों का कुल निर्यात 2282 करोड़ रुपए हो गया है। केयर उद्योग ने नारियल उत्पादक प्रमुख राज्यों में 7.21 लाख कर्मचारियों को रोजगार दिया है। इसमें 80 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं। गत तीन वर्षों के दौरान इस सेक्टर में 14.60 करोड़ रुपए की मार्जिन मनी से 880 ईकाइयां स्थापित की गईं जिससे लगभग 8520 व्यक्तियों के लिए रोजगार सृजित हुए। श्री कलराज मिश्र की पहल पर पिछले तीन वर्षों के दौरान केयर क्षेत्र के विकास के लिए 50 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की गई और 27000 से अधिक लोगों को मूल्य संवर्द्धित प्रशिक्षण प्रदान किया गया तथा 15476 महिलाओं को महिला केयर योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया और 159 कंपनियों को देश और विदेश में आयोजित 22 मेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

खादी ग्रामोद्योगöखादी ग्रामोद्योग के विकास पर माननीय प्रधानमंत्री एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री दोनों का ही विशेष फोकस रहा है। इस क्षेत्र में रोजगार प्रदान करने की दृष्टि से 8.5 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है। वर्तमान में इस सेक्टर में 139.07 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। विगत तीन वर्षों में इस सेक्टर के कुल उत्पादन में 1921 करोड़ रुपए की वृद्धि हुई है। अर्थात कुल उत्पादन बढ़कर 28,030 करोड़ रुपए हो गया है। केवीआईसी के पास इस समय कुल 2223 संस्थाएं हैं। जिनमें से 1850 संस्थाओं को बाजार संवर्द्धन एवं विकास सहायता योजना के तहत प्रत्यक्ष सहायता दी गई है। एनडीए कार्यकाल के दौरान कुल प्रत्यक्ष सहायता 325.89 करोड़ रुपए दी गई जिसके परिणामस्वरूप 1945 करोड़ रुपए की खादी का उत्पादन हुआ। इसके अलावा 172 करोड़ रुपए के पालीवस्त्र के उत्पादन में सहायता देने के लिए 31.71 करोड़ रुपए का अनुदान किया गया। ब्याज सब्सिडी के लिए 81.30 करोड़ रुपए का अनुदान किया गया। जिससे लगभग 370 करोड़ रुपए की वर्किंग कैपिटल का लाभ उठाने में खादी संस्थाओं को सहायता मिली। खादी कारीगरों के कल्याण के लिए 25.41 करोड़ रुपए के खर्च से 5424 वर्पशेडों का निर्माण हुआ। 2.96 लाख खादी कारीगरों को आम आदमी बीमा सुरक्षा प्रदान किया गया। खादी के 1945 संस्थानों और 1,10,000 कारीगरों को शामिल करते हुए 21 राज्यों में कारीगर कल्याण कोष न्यास स्थापित किया गया तथा खादी को आधुनिक युग के नए फैशन के अनुरूप बनाया गया। राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम सन 2014 से अब तक राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम ने 19 लाख मीट्रिक टन से अधिक कच्चे माल की आपूर्ति कर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को सहायता उपलब्ध कराई जिसमें लगभग 12000 उद्यमी ईकाइयां लाभान्वित हुईं। इसने 3857 सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों को 7059 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई। एनएसआईसी का वित्त वर्ष 2014-15 एवं वित्त वर्ष 2015-16 में कुल मिलाकर व्यापार 21,242 करोड़ रुपए से अधिक का रहा और कर से पूर्व का लाभ लगातार बढ़ते हुए 2015-16 के दौरान 158 करोड़ हो गया। एनडीए सरकार की मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्किल डेवलपमेंट विजन को मूर्त रूप देने में निगम अग्रणी भूमिका निभा रहा है। निगम का सदैव यह प्रयास रहा है कि वंचित समाज महिलाओं और कमजोर वर्गों के आर्थिक उत्थान के माध्यम से समुदाय को सशक्त बनाएं। निगम ने अपने टेक्निकल सेंटर्स पर 1,25,563 प्रशिक्षार्थियों को प्रशिक्षित किया और बेरोजगार नवयुवकों के कल्याण हेतु 106 इंक्यूवेशन केंद्र स्थापित किए। इसके अतिरिक्त महात्मा गांधी औद्योगीकरण संस्थान (एम. गिरी) और राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान (निम्मसमे) विभिन्न राज्यों में कौशल विकास कार्यक्रम के अतिरिक्त परंपरागत उद्यमों की तकनीक को विकसित कर रहे हैं। निम्समे ने पिछले तीन वर्षों में 4179 उद्यमिता व कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए। जिसमें 133968 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया। इसके द्वारा विभिन्न राज्यों में रोजगार मेले का आयोजन किया गया जिनमें 24,187 लोगों को मजदूरी रोजगार हेतु चयनित किया गया।

विगत तीन वर्षों से श्री कलराज मिश्र के दृढ़संकल्प व कुशल मार्गदर्शन में एमएसएमई मंत्रालय ने नव उद्यमियों को सहायता प्रदान करके, प्रोत्साहित करके, बेरोजोगार युवकों को इंक्यूवेशन द्वारा प्रशिक्षण प्रदान करके व वित्तीय सहायता उपलब्ध कराकर अपना उद्यम स्थापित करने लायक बना दिया है जिससे देश का युवक जॉब सर्चर के स्थान पर जॉब प्रोवाइडर बन सके। मंत्रालय अपने अधीन कार्य कर रहे उपक्रमोंöखादी एवं ग्रामोद्योग कमीशन, राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम, केयर बोर्ड सहित राज्य सरकारों एवं स्टाक होल्डर्स की मदद से सूक्ष्म एवं लघु ईकाइयों को प्रोत्साहन देकर उनका संवर्द्धन व विकास कर देश की आर्थिक समृद्धिकरण में अहम योगदान कर रहा है।

(लेखक सामाजिक कार्यकर्ता व एक पहल नामक एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव हैं।)

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