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पाक को सबक सिखाना अपरिहार्य

👤 admin5 | Updated on:24 May 2017 3:53 PM GMT
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विवेक त्रिपा"ाr

सैनिक देश की शान होते है। उसकी की वजह से हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। हम खुली हवा में सुकुन की सांस उन्ही की वजह से ही ले रहे हैं। हमारी सेना विश्व में अपनी अलग पहचान रखती है। उसी सेना के वीर सैनिकों से हमारा वजूद भी जिंदा है। लेकिन पिछले कुछ दिनों से सेना के उपर हो रहे हमलों ने आत्मा को झकझोर दिया है। इस मामले को सरकार को और ज्यादा गंभीर होने की अवष्यकता है। सैनिकों पर हमला होने से उनका मनोबल टूटता है। इसलिए इन सब मामलों में क"ाsर कार्रवाई की अवश्यकता है। कई बार सुलह की बात होने के बाद भी पाकिस्तान नपाक हरकत करने से बाज नहीं आता है। हर बार सीजफायर का उल्लंघन भी करता है। जिस कारण बहुत से हमारे सैनिक शहीद हो जाते हैं। इसमें मानवता का कोई भाव नहीं दिखता है। कई बार वह शहीदों के शवों से भी छेड़छाड़ करता है। इसका ताजा उदाहरण अभी भारतीय सेना के जिस गश्तीदल में शामिल 2 जवानों को पाकिस्तानी स्पेशल फोर्सेस ने मारा और उनकी लाश को क्षत-विक्षत किया। यह वारदात जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा के पास स्थित कृष्णा घाटी में हुई।

पिछले 6 महीनों के अंदर ये तीसरा मौका है, जब किसी भारतीय सैनिक के पार्थिव शरीर का अपमान किया गया है। 22 नवंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के माछिल सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल पर 3 जवान शहीद हो गए थे और उस वक्त भी पाकिस्तान ने एक जवान के शव के साथ अमानवीय व्यवहार किया था।

भारत और पाकिस्तान में एक बहुत बड़ा फर्क है। भारत मर्यादाओं का पालन करने वाला देश है। जबकि पाकिस्तान की सोच में आतंकवाद का जहर भरा हुआ है। फिलहाल स्थिति ये है कि पाकिस्तान मर्यादाओं की सारी सीमाएं तोड़कर अमानवीय हरकतों पर उतर आया है, ऐसे में पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देना भी जरूरी है।

उरी में नंद सिंह पाकिस्तान से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। लेकिन पाकिस्तान की सेना ने एक विक्टोरिया ाढा@स विजेता के पार्थिव शरीर का भी सम्मान नहीं किया। पाकिस्तान की सेना उनके शरीर को मुजफ्फराबाद ले गई और उनके शरीर को ट्रक में लादकर पूरे शहर में घुमाया गया। उस वक्त पाकिस्तानी सेना ने लाउड स्पीकर पर ये ऐलान भी किया था, कि हर भारतीय सैनिक का यही हश्र होगा। दुख की बात ये थी, कि बाद में शहीद नंद सिंह के शरीर को पाकिस्तानी सेना ने कूड़े के ढेर में फेंक दिया था, और इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को कभी ढूंढा नहीं जा सका। 28 अक्टूबर 2016 को शहीद हुए भारतीय सेना के जवान मनदीप सिंह के शव के साथ बर्बरता की गई जिसके पीछे पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम में शामिल आतंकवादियों का ही हांथ हैं। इसी पकार जनवरी 2013 में भारतीय सेना के लांस नायक हेमराज और लांस नायक सुधाकर सिंह के पार्थिव शरीर के साथ बर्बरता करने के लिए भी पाकिस्तान की यही टीम जिम्मेंदार थी। वर्ष 1999 में जाट रेजीमेंट के शहीद कैप्टन सौरभ कालिया सहित 6 सैनिकों के पार्थिव शरीर को भी पाकिस्तान ने अपमानित किया गया था। पाकिस्तान की ये खूनी टुकड़ी भारतीय जवानों पर हमला करने के बाद उनके शरीर को क्षत-विक्षत करने के अलावा, उनके सिर काटकर अपने साथ ले जाती है। इस पकार की असहनीय हरकतों के बाजूद भी हम लोगों ने कुछ नहीं कहा पर बार-बार ऐसी हरकते बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। ऐसा नहीं की हम लोग जवाब नहीं दे सकते है। पाकिस्तान मध्ययुगीन मानसिकता से पेरित देश है। उसके द्वारा होने वाली बर्बरता इसी का पमाण है। इस मानसिकता का इलाज जरूरी है। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक तीन पूर्ण युद्ध हो चुके हैं। तीनों युद्धों में भारत और पाकिस्तान के 22 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए थे। इनके अलावा 1999 में दोनों देशों के बीच `कारगिल युद्ध' भी हुआ लेकिन वो पूर्ण युद्ध में नहीं बदला था। कारिगल की लड़ाई में दोनों पक्षों के करीब आ" सौ लोग मारे गए थे।

पाकिस्तान की बार्डर एक्शन टीम में पाकिस्तानी सेना के कमांडो और फ्रशिक्षित आतंकवादी शामिल होते हैं। जो भारतीय सीमा में घुसपै" करके निर्दोष लोगों की जान लेते हैं। घुसपै" के लिए पाकिस्तानी सेना इन आतंकवादियों को सारी सुविधाएं पदान करती है। इस समस्या का हल सरकार को ढूढना होगा। इस पर तात्कालिक कार्यवाही भी जरूरी है। इस पकार की कूरता और कायरना हरकत को माफ नहीं किया जाना चाहिए।

जिनेवा कन्वेंशन के तहत जो नियम बनाए गए उनमें सशस्त्र लड़ाई के दौरान आम नागरिकों, बीमार और जख्मी सैनिको और युद्धबंदियों की सुरक्षा के लिए बनाया गया था।

जिनेवा कन्वेंशन में साफ-साफ कहा गया है कि किसी भी युद्धबंदी के शरीर के साथ अमानवीय हरकत नहीं की जा सकती है। ' अगर किसी जख्मी सैनिक की हत्या की जाती है और उसके शरीर के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है, तो इसे जिनेवा कन्वेंशन के तहत बनाए गए नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। पाकिस्तान ने वर्ष 1951 में ही जिनेवा पर हस्ताक्षर कर दिए थे। लेकिन नियमों का उल्घंन करना उसकी पुरानी आदत बन चुकी है। लेकिन पाक की इस भूल को क्षमा नहीं किया जाना चाहिए। सैनिकों के सम्मान को लेकर सरकार को तेजी और सािढयता बरतने की जरूरत है। सबसे पहले देश को ध्यान में रखकर आमजनमानस को भी सैनिकों के सम्मान और उनके त्याग का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। इनकी शहादत हमेशा याद रहे इसके लिए अपने से जो हो सके वह करना चाहिए। भारतीय सेना, जाति, पंथ या धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं करती है। सेना का सैनिक, सर्वफ्रथम राष्ट्र का सैनिक होता है उसके बाद वह कुछ और होता है। यह एक अनू"ाr विशेषता है जो विविधताओं को एक टीम में बांध देती है। सभी में जाति, पंथ या धर्म से परे होकर भाईबंदी और भाईचारे की भावना होना। इसके लिए भारतीय सेना का आदर्श वाक्य है- ``एक के सभी और सभी के लिए एक है`` इसका अमल सच्चा सैनिक हमेशा करता है। सैनिकों का अनुशासन हर परिस्थितियों में मानते हैं। अपने कर्तव्य को लेकर ईमानदारी और वफादारी भी बहुत कुछ सीखाती है। इसलिए उनके त्याग और बलिदान, निष्पक्षता, ईमानदारी से समाज को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।

भारतीय सैनिकों की यही विशेषता उन्हें सम्मान में सम्मानित बनाती है। जब उनके साथ दुश्मन कायरतापूर्ण कार्रवाई करते हैं तो देश का खून खौलता है। सरकार को इसराइल से पेरणा लेकर इस समस्या का समाधान करना होगा।

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