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आंखों में बस जाती है अलीबाग की सुंदरता

👤 | Updated on:29 Nov 2013 12:25 AM GMT
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 ईशा महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र के राजगढ़ जिले में बसा छोटा सा शहर है- अलीबाग। यह राजगढ़ किले का मुख्यालय भी है। मुंबई से 100 किलोमीटर दक्षिण की ओर स्थित अलीबाग का नाम अली गार्डन के नाम पर पड़ा। अली के बगीचे का नाम 'अलीची बाग' था। 17वीं शताब्दी में अलीबाग का विकास होना शुरू हो गया था। यहां न सिर्प खूबसूरत बीच हैं बल्कि यह इतिहास को भी अपने में समेटे हुए है। कई पुराने किले, गिरिजाघर और मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। कोलाबा किला मुख्य आकर्षण केंद्र है। ज्यादातर समय यह किला चारों तरफ से समुद्र से घिरा रहता है। इसीलिए नाव से इस किले को देखा जा सकता है। अलीबाग के नजदीक पहाड़ पर कनकेश्वर मंदिर दर्शनीय है। अलीबाग मुंबई वासियों का बेहतरीन साप्ताहिक छुट्टी मनाने की जगह है। यहां के खूबसूरत पर्यटन स्थल इस शहर की इकॉनामी में अहम भूमिका निभाते हैं। साथ ही यहां अपने वाले पर्यटकों का भी मनमोह लेते हैं। अलीबाग में प्रकृति की खूबसूरती के साथ आंखों को ठंडक देने वाली हरियाली भी मौजूद है। यहां कतार में खड़े नारियल के कई पेड़ अलग ही दृश्य प्रस्तुत करते हैं। अलीबाग को बीचों का शहर भी कहा जाता है। शहर के मध्य अलीबाग बीच यहां का मुख्य बीच है। बेहद साफ-सुथरा और यहां की रेत थोड़ी हार्ड और ब्लैकिश है। कोलाबा किले को छत्रपति शिवाजी ने बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि उनके मरने से पहले यह उनका आखिरी निर्माण था। इस किले में मीठे पानी का कुआं भी है। अलीबाग से चार किलोमीटर की दूरी पर खानडेल गांव में है सिद्धेश्वर मंदिर। यह मंदिर पूरी तरह शिव को समर्पित है। वरसोली बीच मुख्य बीच से लगभग एक मील की दूरी पर है। यह पर्यटकों की चहल-पहल से अभी दूर है। इसलिए यहां की सफेद रेत चमकीली और समुद्री पानी बेहद साफ है। वरसो;ली, अलीबाग के पार करते ही छोटा सा गांव है जहां नारियल और कैसुआरिना के पेड़ भरे पड़े हैं। अलीबाग से एक मील की दूरी पर है नगाओ बीच। यह भी पर्यटकों की भीड़-भाड़ से दूर है। अलीबाग मुंबई-गोवा हाइवे से जुड़ा है। नजदीकी रेलवे स्टेशन पनवेल है। नजदीकी हवाई अड्डा छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा है। अलीबाग जाने का सही समय है नवम्बर से जुलाई तक। इस समय आप बीच पर शांत वातावरण का आनंद ले सकते हैं। कुमारकोम की खूबसूरती कोट्टायम से 12 किलोमीटर दूर केरल का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है कुमारकोम। यहां स्थित छोटे-छोटे तालाब कुमारकोम को आकर्षक बनाते हैं। यह पर्यटकों के मुख्य आकर्षण का केंद्र भी है। अल्पुज्जा से जलमार्ग से भी यहां पहुंचा जा सकता है। कुमारकोम की खूबसूरती का क्या कहना। यह केरल का स्वर्ग भी है। इसे भगवान का अपना देश भी कहा जाता है। चारों तरफ हरियाली से भरपूर छोटा सा गांव कुमारकोम वेमवैनाद झील के पास बसा है। झील और गांव के बीच नारियल के पेड़ों के जंगल हैं। कुमारकोम मंत्रमुग्ध कर देने वाला पिकनिक स्पॉट है। यहां बोटिंग और फिशिंग का आनंद उठाया जा सकता है। कुमारकोम में नारियल व खजूर के पेड़ यहां-वहां हर जगह फैले हुए हैं। दूर-दूर तक धान के खेत, टेढे-मेढ़े समुद्रताल और बैकवॉटर अलग ही दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यहां सैकड़ों प्रकार के चिडियों के घोसलें हैं। यहां चिडियों की चहचहाहट से मन को शांति मिलती है। सारा तनाव पल भर में गायब हो जाता है। खूबसूरत वेमवनाद झील पर कई देशों की पारंपरिक कलाकृति के रूप में हाउसबोट और छोटी नावें देखी जा सकती हैं। झीलों का पानी मुख्य भूमि से मिल कर भूलभुलैया समुद्रताल, छोटी नदी, नहर और जलमार्ग बनाता है। कुमारकोम तालाबों के लिए भी प्रसिद्ध है। यह वैकवॉटर (तालाब) विभिन्न प्रजातियों के जीव जंतुओं, पेड़-पौधों और जलचर का घर है। कुमारकोम में फैले वाटरपंट रिजार्ट यहां आने वाले पर्यटकों को आयुर्वेदिक मसाज, योग, मेडिटेशन, बोटिंग, फिशिंग और स्वीमिंग की सुविधाएं देते हैं। वाटर स्पोटर्स के शौकीन पर्यटकों के लिए यहां साहसिक खेल जैसे विंडसेलिंग और वाटरस्कींग की भी व्यवस्था है। कुमारकोम हाउसबोट ाtढज का केंद्र भी माना जाता है। यहां का मुख्य आर्पषण है 'कुमारकोम बर्ड सेंक्च्युरी'। यह सेंक्च्युरी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिसे देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। पूरे विश्व से कुछ प्रवासी पक्षी सर्दियों में यहां आते हैं। खासकर साइबेरियाई स्टोर्प।    

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