चिराग तले अंधेरा
राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में पूरी दिल्ली सजाई संवारी जा रही है। सिर्प दिल्ली की प्राण रेखा यमुना नदी सिसक रही है। उसकी गंदगी हटाने का कोई उपाय नहीं किया गया। बदबू आ रही है। यहां की झुग्गियां हटा दी गईं। उनके स्थान पर कंक्रीट के जंगल तैयार हो गए। खेल के नाम पर अरबों रुपये खर्च हो रहे हैं जबकि नगर निगम के पास अपने कर्मचारियों, मजदूरों को वेतन देने का पैसा नहीं है। निगम पार्षदों ने जिन बुजुर्गों विधवाओं या अपाहिजों के लिए पेंशन निर्धारित की है, उनकी एक साल से पेंशन रुकी पड़ी है। विकास मार्ग पर फूलों का बगिया बनाया जा रहा है इसमें सिर्प विदेशी फूल लगाए जा रहे हैं। यहां मेट्रो आरम्भ होने से पूर्व नीम और बरगद के सैकड़ों देसी पेड़ थे, उन्हें समाप्त कर वहां विदेशी फूल लगेंगे। पूरी दिल्ली में बिजली की हाई मास्क लाइटें लगाई जा रही हैं परन्तु यहां के नागरिकों को मीटर का दस गुणा चुकाना पड़ रहा है। राजधानी में देश का सबसे बड़ा हवाई अड्डा टर्मिनल का उद्घाटन हो गया परन्तु आनन्द विहार रेल टर्मिनल वर्षों से उद्घाटन की बाट जोह रहा है। यहां एक तरफ विकास का लौट जलाई जा रही है तो दूसरी ओर चिराग तले अंधेरा छाया हुआ है। öविकास कुमार, शाहदरा, दिल्ली।