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मोरों की गणना
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केंद्र सरकार की बेरुखी के कारण आज राष्ट्रीय पक्षी मोरों की गणना की योजना खटाई में पड़ गई है। राष्ट्रीय पक्षी होने के बावजूद अब तक देश में कभी मोरों की गणना नहीं हुई है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून ने 2008 में इनकी गणना की योजना भी बनाई थी परन्तु योजना के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से धन को लेकर आनाकानी से मामला लटक गया। जबकि देश में बाघों के बाद मोरों की गणना होनी चाहिए। पिछले एक दशक में देशभर में मोरों के मरने या उनके शिकार की घटनाएं बढ़ी हैं जिसके कारण अब आवश्यक हो गया है कि उनकी गणना की जाए और उनकी सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएं। -उमेश प्रसाद सिंह, लक्ष्मी नगर, दिल्ली।
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